शिक्षक दिवस विशेषः वो, जो मेरा सबसे पहला स्कूल था

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 04-09-2021
पब्लिक गर्ल्स इंटर कॉलेज के  संस्थापक मौलाना हसीब  सिद्दीक़ी साहब मरहूम स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोपण करते हुए (फाइल फोटो)
पब्लिक गर्ल्स इंटर कॉलेज के संस्थापक मौलाना हसीब सिद्दीक़ी साहब मरहूम स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोपण करते हुए (फाइल फोटो)

 

डा0 रख़्शंदा रूही मेहदी  / देवबंद

‘एक शिक्षित लड़की से संपूर्ण परिवार शिक्षित होता है.’ मरहूम मौलाना हसीब सिद्दीकी साहब का यह कथन पब्लिक गर्ल्स नर्सरी स्कूल की स्थापना में मील का पत्थर साबित हुआ. कोठी वाली के बाहरी हिस्से में चार कमरों, एक टीन के बरामदे और छोटे से आंगन में नर्सरी स्कूल का आरंभ जनवरी, 1971 में ज़िला सहारनपुर के कस्बा देवबंद में हुआ. कुल 6 अध्यापक थे. मास्टर तनवीर हेड मास्टर और सैयदा बाजी हेड मिस्ट्रेस थीं. हर कक्षा में 15 बच्चे बैठते थे. कुल 60 बच्चे थे. स्कूल नर्सरी से कक्षा 5 तक था. थोड़े समय में ही ये स्कूल अपनी अलग पहचान बनाने लगा.

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पब्लिक गर्ल्स इंटर कॉलेज के संस्थापक मौलाना हसीब सिद्दीक़ी

यह मेरा पहला स्कूल था, जहां मैंने अपने जीवन का प्रथम अक्षर सीखा. पहली कक्षा से तीसरी कक्षा तक मैंने इसी नर्सरी स्कूल में पढ़ा. बच्चों को उत्साहित करने के लिए उनकर छोटी-छोटी उपलब्धियों को सराहा जाता और पुरस्कृत किया जाता था. पहली कक्षा में शत-प्रतिशत उपस्थिति होने पर मुझे एक नोटबुक इनाम में दी गई थी, जो मेरे लिए समय की पाबंदी की प्रेरणा स्रोत साबित हुई.

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जनाब फ़हीम अख़्तर विभागाध्यक्ष सीनियर सैक्शन

सीनियर सैक्शान के विभागाध्यक्ष जनाब फ़हीम अख़्तर इस स्कूल की विकास यात्रा कुछ इस तरह बताईः 

इस स्कूल को 1991 मंे पब्लिक नर्सरी एंड जूनियर हाई स्कूल नाम दिया गया. 2001 में नई इमारत में स्कूल शिफ्ट किया गया. 2002 में हायर सेकेंड्री स्कूल रिकगनाइज हो गया. 2014 में सीनियर सेकेंड्री स्कूल की आर्ट्स स्ट्रीम रिकगनाइज़ हुई. पब्लिक गर्ल्स इंटर कॉलेज नाम तय पाया गया. 2019 में साइंस स्टीम रिकगनाइज़ हुई.

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सुश्री सबा सिद्दक़ी, प्रधानाध्यापिका, मिडिल सैक्शान

आज यहां 26 कमरे, 18 अध्यापिकाएं और 9 अन्य स्टाफ़ सदस्य हैं. 965 बालिकाएं यहां शिक्षा पा रही हैं. कक्षाएं सीसीटीवी कैमरे से लैस हैं. लाइट गुल होने पर जनरेटर की सुविधा है. नर्सरी से आठवीं तक सुश्री सबा सिद्दक़ी प्रधानाध्यापिका हैं, तो नौवीं से बारहवीं तक की प्रधानाध्यापिता सफ़िया गौहर हैं.

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मेरा स्कूल  

आज मेरा स्कूल अपनी अलग आलीशान इमारत में पब्लिक गर्ल्स इंटर कॉलेज के नाम से विख्यात है. यह मदनी रोड पर स्थित है. यहां पहली से बारहवीं तक कक्षाएं हैं. अब ये केवल बालिका पाठशाला है. प्राध्यापिका सुकुमारी सबा सिद्दीक़ी जी पहली कक्षा से तीसरी कक्षा तक सबा मेरी सहपाठी रही हैं. सीबीएससी पाठ्यक्रम के साथ बालिकाओं के लिए कंप्यूटर शिक्षा के लिए विशाल कंप्यूटर लैब की व्यवस्था है. योगाभ्यास, नैतिक शिक्षा समस्त कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल है. पिछले पांच वर्षों से दसवीं और बारहवीं के नतीजे 60 प्रतिश्त से नीचे नहीं रहे. इस वर्ष बारहवीं आर्ट्स का परिणाम 81 प्रतिशत तथा साइंस का 86 प्रतिशत रहा. इंटरस्कूल डिबेट प्रतियोगिता में हफ़सा नायाब और माहीन, फ़रहीन, सफ़िया ने कई स्कूलों को पछाड़ कर प्रथम स्थान प्राप्त किया. खेल प्रतियोगिताओं में भी यहां की बालिकाएं अग्रणी रहती हैं.

सुश्री सबा सिद्दीक़ी अपने हसीब सिद्दीक़ी जी के पदचिह्नों पर चलते हुए कॉलेज को ऊंचाइयों के शिखर पर ले जाने की हर मुमकिन कोशिश कर रही हैं.

बालिकाओं को शिक्षा के साथ उनके सर्वांगीण विकास में पब्लिक गर्ल्स इंटर कॉलेज अपने संस्थापक माननीय हसीब सिद्दीक़ी जी के सपनों को साकार कर रहा है. 

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हज़ारों बालिकाएं अपनी व्यवसायिक प्रतिभा के बल पर भारत के विभिन्न हिस्सों में पब्लिक गर्लस इंटर कॉलेज का नाम रौशन कर रही हैं.

आज 5 सितंबर 2021 को ये मेरा पहला स्कूल मेरे वतन देवबंद में शिक्षक दिवस मना रहा है. इस भव्य समारोह में सम्मिलित होने का मुझे आमंत्रण मिला है. मैं भावुकतावश अपनी संवेदनाओं को इन चंद शब्दों में ढालकर अपने स्कूल के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित कर रही हूं. स्कूल की उन्नति व उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करती हूं.