आवाज द वॉयस /नई दिल्ली
भारत की स्वतंत्रता की 76वीं वर्षगांठ पर, राजस्थान के जोधपुर शहर में एक खास नजारा दिखा. हिंदुओं और मुसलमानों का एक बड़ा समूह एक स्थानीय मंदिर से पास की मस्जिद तक राष्ट्रीय ध्वज हाथ में लिए और प्रेम-शांति के नारे लगाते हुए और देश की महिमा गाते हुए देखा गया.
मार्च की शुरुआत सूफी नेता सैयद नसरुद्दीन चिश्ती, अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख और अखिल भारतीय सूफी सज्जादनाशिन परिषद के अध्यक्ष ने की. याद रहे कि जोधपुर में पिछले महीने झड़पें और सांप्रदायिक तनाव देखा गया था.
चिश्ती और स्थानीय श्री जूना खेड़ापति मंदिर के पुजारी और पास में स्थित चिराघर मदनी मस्जिद के इमाम एक जुलूस में मंदिर से मस्जिद तक चले. उन्होंने कहा कि यह प्यार और भाईचारे का संदेश का प्रतीक है.
यह स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर जोधपुर में आयोजित एक ऐतिहासिक क्षण था जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने राष्ट्रीय एकता का संदेश देने के लिए श्री जूना खेड़ापति मंदिर और चिरघर मदनी मस्जिद को 256 फीट तिरंगे के साथ जोड़.
चिश्ती ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह मार्च शांति का प्रतीक है, जो भारतीयों, सभी समुदायों के लोगों के अटूट बंधन को दर्शाता है.
उन्होंने कहा, हम भाग्यशाली हैं कि एक स्वतंत्र देश में पैदा हुए और अमृत महोत्सव मना रहे हैं.यह एकता भारत का ताज है. यही हमारी ताकत है. उन्होंने युवाओं से इस एकता के लिए काम करने और भारत के दुश्मनों को कभी भी उनसे बेहतर नहीं होने देने का आहवान किया.
उ
न्होंने नापाक मंसूबों वाले सभी लोगों से संबंधन तोड़ने की अपील की. इस दौरान लोगों ने देशभक्ति के नारे लगा कर चिश्ती का उत्साह बढ़ाया.