मुस्लिम राष्ट्रीय मंच बोला-सामने आना चाहिए भारतीय ऐतिहासिक धरोहरों का सच

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 31-05-2022
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच बोला-सामने आना चाहिए भारतीय ऐतिहासिक धरोहरों का सच
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच बोला-सामने आना चाहिए भारतीय ऐतिहासिक धरोहरों का सच

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

आरएसएस से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने भारतीयों से देश का माहौल न बिगड़ने और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहरों का सच सामने आने देने की अपील की है. इसके अलावा मंच नेराहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी, दिग्विजय सिंह, ममता बनर्जी जैसे नेताओं पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. कहा कि ये मुसलामानों को मुख्य धारा से काटने, उन्हें गरीबी, अनपढ़ता और जलालत की जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर रहे हैं.

मंच ने देश में अशांति फैलाने वालों की निंदा करते हुए उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है. कहा है कि ये अपने फायदे के लिए देश को गुमराह कर रहे हैं.मंच के अध्यक्ष मोहम्मद अफजाल, राष्ट्रीय संयोजक एसके मुद्दीन, रजा रिजवी और अबू बकर नकवी ने कहा कि जब से सर्वे में काशी के ज्ञानवापी की तथाकथित मस्जिद में शिवलिंग होने के प्रमाण सामने आए हैं, देश के भाईचारे के वातावरण को दूषित करने का भरसक प्रयास किया जा रहा है. इसमें कुछ असामाजिक तत्व एवं मजहबी लोग भी शामिल हैं.

मंच के इस्लाम अब्बास और इरफान अली पीरजादे ने कहा कि देश के चंद विपक्षी नेताओं के भड़काऊ बयानों से देश का शांतिपूर्ण माहौल और भाईचारा बिगड़ रहा है.‘हिंदुस्तान फर्स्ट हिंदुस्तानी बेस्ट’ के राष्ट्रीय संयोजक बिलाल उर रहमान और मदरसा शिक्षा प्रकोष्ठ के मजाहिर खान ने कहा कि ज्ञानवापी की तथाकथित मस्जिद के साथ मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मस्थान मस्जिद, लाल किला, ताज महल, कुतुब मीनार, अजमेर शरीफ, बिंदुमाधव मंदिर, नालंदा विश्वविद्यालय, बौद्ध विहार, जैन एवं सिख जैसे अनेक धार्मिक आस्थाओं और ऐतिहासिक महत्व के स्थानों को लेकर नए-नए प्रमाण सामने आ रहे हैं.

इसके चलते देश का माहौल बिगड़ रहा है. जबकि आवश्यकता है कि सभी स्थानों की हकीकत का पता लगाया जाए. सच्चाई की रौशनी में समस्या का समाधान आपसी संवाद या कोर्ट से निकला जाए. इन ऐतिहासिक और धार्मिक आस्थाओं का सच क्या है यह सब के लिए जानना जरूरी है ?

इस मौके पर मंच के मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने कहा कि जो सत्य है, उसको स्वीकार कर हर प्रकार के विवादों का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से निकल सकता है, जबकि ओवैसी, तौकीर राजा, फुरकान अली, पीएफआई, जमियत, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे नेता और संस्थाएं इसे मानने से इनकार कर लोगों को भड़काने में लगे हैं. लगता है कि वे खुदा, कुरान और इस्लाम के रास्ते पर ईमानदारी से चलना नहीं चाहते. आक्रांताओं की निंदा करने के बजाय हिमायत कर रहे हैं.

महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय संयोजक शहनाज अफजाल, शालिनी अली और रेशमा हुसैन ने जोर देते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक सत्य है. जो इस्लामी आक्रांता देश में आए और शासन किया, उनसे भारतीय मुसलमानों का कोई रिश्ता नहीं .

हम भारत के मुसलमान थे हैं और ताउम्र रहेंगे. गौरी-गजनी से लेकर बाबर-औरंगजेब तक इन सभी आक्रांताओं ने देश के धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक स्थलों का नाश किया है. जबरन धर्मांतरण कराए और जुल्म किया. मगर भारत की परंपरा और तहजीब से हमारा नाता अटूट है. हम मंच के लोग अंग्रेज, डच, पोर्तुगीज आदि हमलावरों के बारे में भी सभी को सावधान करते रहे हैं.

क्षेत्रीय सहसंयोजक हसन नूरी और सलीम खान पठान ने कहा कि आज विश्व में भारत की एक अलग साख है . दुनिया और मानवता को भारत से भविष्य में बहुत उम्मीदें हैं. यह तभी संभव है, जब देशवासी देश का माहौल सद्भाव और अमन कायम रखेंगे. इसलिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ता का दानिश्वरों से अनुरोध है कि वर्तमान परिस्थिति में सजग रहें. माहौल बिगाड़ने की हर कोशिश को नाकामयाब करें.

मंच ने कहा कि कुरान और इस्लाम के प्रकाश में देखें तो कुछ बातों पर गौर करने से मामले साफ हो सकते हैं. मोहम्मद साहब इस्लाम के अंतिम पैगंबर हैं. कुरान में हिदायत है कि “लकुम दिनेकुन वल य दीन” यानी अपने-अपने दीन पर चलो, दूसरे के दीन की इज्जत करो न कि आलोचना करो. जो इन हिदायतों को मानते हैं वे सच्चे हिन्दुस्तानी मुसलमान कहलाते हैं.