बचपन में गुस्सा आना एक सामान्य व्यवहारिक प्रतिक्रिया है, जो बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास का हिस्सा होती है। हालांकि, जब यह गुस्सा अत्यधिक और बार-बार आने लगे, तो यह माता-पिता के लिए चिंता का कारण बन सकता है। ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि आप समझदारी से स्थिति को संभालें और गुस्से को नियंत्रण में लाने के लिए कुछ रणनीतियाँ अपनाएँ। यहां हम ऐसी 5 सरल लेकिन प्रभावी रणनीतियाँ बता रहे हैं जो आपके बच्चे के गुस्से को बेहतर ढंग से संभालने में मदद करेंगी:
1. हर बार गुस्से पर प्रतिक्रिया न दें
अगर आपका बच्चा बार-बार गुस्से में चिल्लाता है या रोता है, तो तुरंत उसकी बातों पर प्रतिक्रिया न दें। ध्यान दें कि कहीं वह जानबूझकर तो ऐसा नहीं कर रहा ताकि आपकी सहानुभूति या ध्यान पा सके। ऐसे में गुस्से को अनदेखा करना कई बार फायदेमंद होता है। जब आप उसे ज़्यादा महत्व नहीं देंगे, तो वह खुद-ब-खुद शांत हो जाएगा। हर बार उसकी ज़िद मानना या ज्यादा तवज्जो देना समस्या को और बढ़ा सकता है।
2. उसे ऐसी जगहों पर न ले जाएँ जहाँ वह ज़िद करता है
जो बच्चे ज़्यादा बाहर नहीं जाते, वे आमतौर पर बाहर जाते समय कुछ न कुछ मांगते हैं — जैसे चॉकलेट, खिलौने या फ़ास्ट फूड। ऐसे में अगर आप जानते हैं कि आपका बच्चा किसी खास जगह पर ज़िद करता है, तो वहां जाने से बचें। इससे आप दोनों ही तनाव से बच सकेंगे।
3. जब वह रोए तो उसे ज़बरदस्ती शांत न कराएँ
अगर बच्चा ज़िद कर रहा है और आप उसे बार-बार रोने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं, तो हो सकता है कि वह और ज़्यादा रोने लगे। इसलिए ज़रूरी है कि आप उसे थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दें। कभी-कभी बच्चों को खुद को शांत करने का समय देना सबसे बेहतर उपाय होता है।
4. पुरस्कार के लिए लक्ष्य तय करें
हर बार तुरंत उनकी मांगें पूरी करने से वे और ज़िद्दी हो सकते हैं। बेहतर होगा कि आप उनके लिए कुछ छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें। जैसे – "अगर तुम शांत रहोगे या होमवर्क समय पर करोगे, तो तुम्हें वह खिलौना मिलेगा।" इस तरह बच्चा मेहनत और धैर्य का महत्व समझेगा, और गुस्से को कंट्रोल करना सीखेगा।
5. उसे सामाजिक और रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करें
बच्चों के गुस्से को कम करने के लिए उन्हें दूसरे बच्चों के साथ समय बिताने का मौका दें। खेल, चित्रकला, कहानी सुनाना या संगीत जैसी गतिविधियाँ न सिर्फ़ उन्हें व्यस्त रखेंगी, बल्कि मानसिक संतुलन भी बनाए रखेंगी। जब बच्चे सामाजिक रूप से सक्रिय होते हैं, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और गुस्सा कम होता है।
बचपन में गुस्सा आना एक सामान्य व्यवहारिक प्रतिक्रिया है, जो बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास का हिस्सा होती है। हालांकि, जब यह गुस्सा अत्यधिक और बार-बार आने लगे, तो यह माता-पिता के लिए चिंता का कारण बन सकता है।