हिंदू शिक्षक पढ़ाते हैं उर्दू और मुस्लिम देते हैं संस्कृत का ज्ञान

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 04-09-2022
शिक्षा दिवस खास: हिंदू शिक्षक पढ़ाते हैं उर्दू और मुस्लिम देते हैं संस्कृत का ज्ञान
शिक्षा दिवस खास: हिंदू शिक्षक पढ़ाते हैं उर्दू और मुस्लिम देते हैं संस्कृत का ज्ञान

 

-बिना हिंदू-मुस्लिम भेद के बच्चों के शिक्षा की मिसाल -जेबीटी हिंदू शिक्षक ने मुस्लिम बच्चों को राज्यस्तरीय खेलों में दिलाई पहचान

दयाराम वशिष्ठ /फरीदाबाद (हरियाणा)

शिक्षक का स्थान जीवन में सर्वोपरि है. शिक्षक ही हमें जीवन जीने का सही ढंग सिखाते हैं. इसके बावजूद अध्यापक ज्ञान बांटे में कोई भेद नहीं करते. शिक्षा दिवस पर आइए, हरियाणा के फरीदाबाद, पलवल और मेवात के कुछ ऐसे ही शिक्षकों से आपकी मुलाकात करवाऊं.

वे धर्म  के लिहाज से अलग-अलग हैं, पर शिक्षा अपने पारिवारिक परिवेश से बिल्कुल इतर देते हैं. यानी हिंदू शिक्षक उर्दू पढ़ा रहे हैं और मुस्लिम शिक्षक संस्कृत. पढ़ाते समय इनमें भाषा व धर्म को लेकर कोई असमानता नहीं दिखती.
 
rai singhइस कड़ी में मुलाकात करिए पलवल के 44 वर्षीय राय सिंह से, जो पिछले 30 सालों से हरियाणा के राजकीय स्कूलों में बच्चों को उर्दू पढ़ा रहे हैं. उनसे उर्दू पढ़ने वालों में मुस्लिम व हिंदू दोनों ही वर्गों के विद्यार्थी शामिल हैं.
 
जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली से उर्दू की डिग्री लेने वाले राय सिंह कहते हैं, भाषा किसी धर्म विशेष की बपौती नहीं. उर्दू को मजहब से न जोड़कर शिक्षा व तालीम से जोड़ें.
 
करियर के लिहाज से भी उर्दू अच्छा विषय है. उनसे शिक्षा लेने वाले कई बच्चे अब शिक्षक बन गए हैं. उन्हें इसपर फर्क है. ज्ञान में बांटने में धर्म, जाति नहीं देखी जाती. उनकी पष्ठभूमि कभी उर्दू से जुड़ी नहीं रही. उन्होंने खुद दसवीं कक्षा से उर्दू पढ़ना शुरू किया. इसके बाद स्नातक व परास्नातक तक उर्दू पढ़.
 
बनवारी लाल भी पढ़ाते हैं उर्दू 

बल्लभगढ़ के रहने वाले बनवारी लाल उर्दू लेक्चरर हैं, जो वर्ष 2012 से अब तक हजारों बच्चों को उर्दू की शिक्षा दे चुके हैं. उनका कहना है कि वे लंबे समय से उर्दूसे जुड़े हुए हैं.
 
banvari lalमुस्लिम बाहुल्य गांव मलाई में उर्दू विषय पढ़ाते हैं. उर्दू से बीए, बीएड किया. बाद में अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से एम ए उर्दू व एमए इस्लामिक किया. वे गीता उर्दू में पढ़ते हैं.
 
इसके अतिरिक्त मुगल सल्तनत से संबंधित दाराशिकोह संस्कृत में पढ़ा है. उन्होंने कहा, भाषा किसी धर्म विशेष की नही. हिन्दू बच्चों को भी उर्दू पढ़ाई है. इसी तरह पलवल के स्कूल घासेरा में उर्दू के लेक्चर हरीश कुमार व नूंह के सरकारी कन्या विद्यालय में तैनात सरोज यादव का कहना है कि उर्दू ज्ञान का एक रूप है.
 
शिक्षक के नाते उनका कर्तव्य है कि छात्रों का बिना किसी भेदभाव के सर्वांगीण विकास किया जाए. लेक्चरार हरीश कुमार का कहना है कि उन्होंने उर्दू को अतिरिक्त भाषा के तौर पर चुना था. आज वही उनकी आजीविका बन गई है. इसका धर्म व मजहब से कोई संबंध नहीं.
 
संस्कृत का ज्ञान परोस रहे हैं फखरुद्दीन

पलवल के गांव अलावलपुर के रहने वाले फखरुद्दीन मेव आली गांव के सरकारी स्कूल में बतौर जेबीटी शिक्षक कार्यरत हैं. हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ बघौला से इन्होंने वर्ष 2001 से 2004 के सत्र में शास्त्री संस्कृत में शिक्षा ग्रहण की.
 
fakhruddinइसके बाद से वे बच्चों में संस्कृत का ज्ञान बांट रहे हैं. उन्हंे हनुमान चालीसा पूरी तरह स्मरण है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 8 साल सेवा दे चुके फखरुद्दीन वर्ष 2017 में आली मेव गांव के सरकारी स्कूल में जेबीटी शिक्षक का कार्यभार संभाला.
 
अब तक करीब 250 से 300 बच्चों को संस्कृत की शिक्षा दे चुके हैं. बच्चों को संस्कृत में गुरू वंदना व गायत्री मंत्र सिखाते हैं. स्कूल में जब भी कोई सभा होती है, शिक्षक फखरुद्दीन गायत्री मंत्र से शुरुआत कर अपने विचारों रखते हैं.
 
उनका कहना है कि बदलते परिवेश में संस्कृत विषय का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है. संस्कृत हमें संस्कार सिखाती है. धर्म कोई मायने नहीं रखता. उनके बच्चे भी इसका पालन  करते हैं.
 
प्रिंसिपल रहे रमेश चंद शर्मा के दिशानिर्देश पर उन्होंने संस्कृत का ज्ञान प्राप्त करने के बाद बीएड की शिक्षा ग्रहण की. अब मौका मिलने पर वे संस्कृत शिक्षक का कार्यभार संभालेंगे. संस्कृत शास्त्री के बाद उनका लक्ष्य विद्यार्थियों के मन में संस्कृत विषय का अलख जगाना है. 
 
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खंदावली के मुस्लिम बच्चे खेलों में बटोर रहे पदक

वर्ष 2006 में बल्लभगढ़ के राजेश अहलावत ने जेबीटी शिक्षक के पद पर खंदावली में बतौर गेस्ट टीचर अपनी सेवाएं शुरू कीं. स्कूल में उस समय बच्चों की संख्या मात्र 250 थी. बच्चों का रुझान केवल मिड डे मिल के भोजन तक सीमित था.
 
यह देख शिक्षक राजेश अहलावत विचलित हो गए. उन्होंने परिजनों से मिलकर बच्चों को स्कूल में दाखिले के लिए प्रेरित किया. उनकी मेहनत रंग लाई. आज इस स्कूल में बच्चों की संख्या 630 तक है.
 
इनमें बच्चियों की संख्या कहीं अधिक. शिक्षा में रूझान बढ़ाने के साथ शिक्षक राजेश ने बच्चों को खेलों के लिए जागरूक किया. परिणामस्वरूप, आज इस स्कूल के बच्चे खो-खो समेत अन्य खेलों में राज्यस्तरीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में कई मेडल ले चुके हैं.
 
यहां के बच्चे कभी गांव से बाहर नहीं गए, लेकिन अब खेलों के माध्यम से उनकी हरियाणा में एक पहचान बन गई है. यहां के बच्चे कई बार प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रदेश के विभिन्न शहरों फतेहाबाद, पानीपत, रेवाड़ी तक जा चुके हैं.
 
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केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने पिछले दिनों प्रतियोगिता जीतने पर इस स्कूल के बच्चों को नकद इनाम दिया था. अब शिक्षक राजेश अहलावत गांव के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी के प्रिय बन चुके हैं.
 
हाल में ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता में खंदावली गांव के बच्चों ने कोच राजेश अहलावत के नेतृत्व में पहला स्थान प्राप्त किया था. साहिल, दानिश, साहिब खान, एहसान खान, शाकिर खान, फरदीन खान, तमीम खान, सोहेल के अलावा छात्राएं सामिया, मुरसीदा, नाजरीन, नसीमा, सहिस्ता, सानिया, नजराना, फरजाना, उमेमन समेत अन्य छात्रों का कहना है कि शिक्षक राजेश अहलावत की बदौलत आज उनकी पहचान पूरे हरियाणा में हुई है.

हम इनका दिल से सम्मान करते हैं. उनकी बदौलत न आज हमारा सम्मान बढ़ा है. गांव के सरपंच निसार अहमद व पूर्व सरपंच अब्दुल सत्तार समेत अन्य ग्रामीणों ने शिक्षक राजेश अहलावत की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी बदौलत आज उनके बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा हुए हैं.