मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली की ऐसी दुकान जो आज दिल्ली वालों के बीच सबसे लोकप्रिय बन चुका है और हर रोज इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. इस दुकान का नाम ‘मिडलैंड बुक शॉप’ है.
दुकान की विशेषता ये है कि यहां देश और दुनिया के बड़े लेखक और नामचीन हस्तियां भी आती रहती हैं. फिल्मी दुनिया के बादशाह शाहरुख खान से लेकर किक्रेट के भगवान कहने जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी इस दुकान में आ चुके हैं.
इसके अलावा बड़ी तादाद में नेता, लेखक हमेशा पहुंचते रहते हैं. एक बड़ी जमात ऐसे लोगें की है, जो बचपन से अभिभावक के साथ किताब की दुकान पर पहुंचकर अपनी जरूरत की किताब ले जाते हैं. बीते दिनों 24 नवंबर 2022 को फुटपाथ से बड़े व्यपार की शक्ल में तब्दील करने वाले मिर्जा यासीन बैग का 94 साल की उम्र में देहांत हो गया.
कैसे हुई दुकान की शुरुआत?
1970 के दशक में जब आंध्र प्रदेश में तेलंगाना आंदोलन शुरू हुआ, तो उस समय मिर्जा यासीन बैग अपनी जन्मस्थली चारमीनार हैदराबाद से दिल्ली पहुंचे और यहां पालिका बाजार के नजदीक इंडियन कॉफी के पास एक छोटी सी किताब की दुकान खोली.
आवाज-द वॉयस से बातचीत करते हुए मिर्जा यासीन बेग के बड़े लड़के मिर्जा अफसर बैग ने बताया कि पिता जी ने शुरू में फुटपाथ पर किताबें बेची और अपने संस्कार से लोग जुड़ते चले आए और परिवार के समान हो गए, पिता जी शुरु से ही किताब पर बीस प्रतिशत छूट देते हैं, जिससे छात्र अपने अभिभावक के साथ दूर-दूर से पहुंचते हैं. जो इस समय हौजखास, साउथ एक्सटेंशन, गुड़गांव पर मौजूद हैं.
पारिवारिक उद्योग बन गया बुक स्टोर
मिडलैंड, मिर्जा यासीन बैग के वक्त से ही हर उम्र के पुस्तक प्रेमियों के लिए एक अड्डा बना है, जहां भारी छूट की पेशकश के साथ युवा लेखकों का समर्थन किया जाता है. इसी विशेषता से उनके दुनिया से चले जाने के बाद अब उनके बेटों और पोतों द्वारा ये कारोबार जारी है, जो अब पारिवारिक उद्योग बन गया है.
मिर्जा यासीन बैग की एक छोटी दुकान से मिडलैंड बनने की कहानी बताते हुए कहा कि 1989 में हौज खास इलाके के अब्रेंदों मार्केट में मिडलैंड बुक के नाम से दुकान खोली. मेरे दादा के बाद हमारे वालिद साहब और चाचा ने इस काम को संभाला, सबकी अपनी-अपनी दुकानें हैं.
एक गुड़गांव में, एक की साउथ एक्सटेंशन में और मेरी दुकान हौज खास में हैं. वह आगे कहते हैं कि यहां जो बच्चे इस समय आ रहे हैं वह चौथी पीढ़ी के हैं.
जुबैर ने कहा कि अभिनेता शाहरुख खान और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर जब यहां पहुंचे तो उन्होंने बच्चों के लिए किताबें अपने साथ ले गए. डिजिटल युग के बावजूद बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.
डिजिटल के इस समय में किताबों में लोगों की रुचि कितनी हैं, क्या कम हुई है? इस प्रश्न के उत्तर में मिर्जा जुबैर बैग कहते हैं कि जिन लोगों को हाथ में किताब रख कर पढ़ने में मजा आता है, वह आज भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. मेरे यहां जाने-माने लेखक-लेखिकाओं में अरुंधति रॉय, करण थापर, शाहरुख खान, सचिन तेंदुलकर, सलमान खुर्शीद, मनीष सिसोदिया जैसे लोग पहुंचकर किताब खरीद चुके हैं.
आगे का प्लान किया है?
इस सवाल के जवाब में जुबैर बैग ने कहा कि जिस तरह से लोग किताबें पढ़ना चाह रहे हैं, जिस तरह से लोग अपने बच्चों की पढ़ाई पर जोर दे रहे हैं, तो इसी को ध्यान में रखकर बच्चों से संबंधित किताबों पर ध्यान देंगे.
मालवीय नगर की रहने वाले आबशार से ‘मिडलैंड बुक शॉप’ के हवाले से पूछा, तो उनका कहना था कि मैं यहां बचपन से आ रही हूं, जिससे यहां के लोगों के साथ एक रिश्ता बन गया है. जब भी मुझे किताब की जरुरत होती हैं, तो यहां भरोसा होता हैं कि किताब मिल जाएगी, अगर किताब कभी नहीं होती है, तो दूसरे दिन किताब मिल जाती हैं. इससे जो सुकून मिलता है, वह कहीं और किताब की दुकान पर नहीं मिलता.
इस दुकान पर कैसे पहुंचें
दिल्ली में इस समय इनके दो दुकान हैं, जिसमें से हौजखास वाली दुकान लोगों में ज्यादा लोकप्रिय हैं. यहां पहुंचने के लिए हौजखास मेट्रो स्टेशन के गेट नम्बर 2 से बाहर निकले और कुछ दूर पैदल चलने के बाद श्री अरबिंदो मार्केट पहुंचें, जहां दुकान संख्या 20 है, जहां से आप बच्चों के पाठक्रम के अलावा अंग्रेजी, हिन्दी और उर्दू भाषा में साहित्य की किताब आसानी से हासिल कर सकते हैं.