क्या चारमीनार और गोलकुंडा किले के बीच वाकई सुरंग थी

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 10-07-2021
क्या हैदराबाद से चारमीनार के बीच सुरंग थी
क्या हैदराबाद से चारमीनार के बीच सुरंग थी

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

हैदराबाद में लोगों के बीच कहानियां हैं कि मशहूर चारमीनार से लेकर गोलकुंडा के किले तक एक सुरंग थी, जिससे होकर घुड़सवार भी गुजर सकते थे. हाल की तस्वीरों से अब यह चर्चा फिर से गरम हो गई है.

हैदराबाद में बेला विस्टा पैलेस, जो अब एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया है, की एक सुरंग या एक भूमिगत बंकर की तस्वीरों ने ऐतिहासिक चारमीनार को भव्य गोलकुंडा किले से जोड़ने वाली सुरंगों के नेटवर्क की सदियों पुरानी, ​​अभी भी अपुष्ट पर सम्मोहक कहानियों की बहस को फिर से गरमा दिया है.

बेला विस्टा बंकर कोई कहानी नहीं बल्कि एक तथ्य है.शहर के फोटोग्राफर और विरासत के प्रति उत्साही मोहम्मद हबीब-उर-रहमान ने तस्वीरों के जरिए इस सुरंग के अस्तित्व की पुष्टि की है. इन तस्वीरों में से एक में बोर्ड भी मौजूद है, जिस पर प्रिंस आजम जाह सुरंग लिखा है. यह तस्वीर तेलंगाना टुडे ने प्रकाशित भी की है.

बेला विस्टा पैलेस में सुरंग की तस्वीर (फोटो सौजन्यः तेलंगाना टुडे)


हबीब-उर-रहमान फेसबुक पर एक पेज चलाते हैं जिसका नाम 'दक्खन के पैगाह' है और उस पर चर्चा से यह संकेत मिलता है कि यह एक बंकर हो सकता है जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शाही परिवार ने संभवतः हवाई हमलों से बचने के लिए बनवाया होगा.तेलंगाना टुडे से हबीब-उर-रहमान कहते हैं कि हालांकि इसका उल्लेख एक सुरंग के रूप में किया गया है, लेकिन यह वास्तव में एक बंकर था.

टनल-बंकर पर चर्चा की वजह से चारमीनार और गोलकुंडा को जोड़ने वाली सुरंग के अस्तित्व पर पुरानी बहस भी फिर से शुरू हो गई है. किंवदंती है कि चारमीनार और गोलकुंडा किले को जोड़ने वाली एक सुरंग थी और राजा अक्सर इसके माध्यम से गुजरते थे. सुरंग से होकर घुड़सवार भी जा सकते थे.

तेलंगाना टुडे ने अपनी रिपोर्ट में सन् 1962 में हैदराबाद का सर्वेक्षण करने वाले जनगणना संचालन के सेवानिवृत्त सहायक निदेशक खाजा मोइनुद्दीन द्वारा सुरंग के बारे में उल्लेख किए जाने का जिक्र किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, “उन्होंने लिखा है कि 1936 में निजाम युग के दौरान हैदराबाद नगरपालिका के तत्कालीन आयुक्त इनायत जंग और पुरातत्व विभाग के निदेशक गुलाम यजदानी ने सुरंग का विस्तृत सर्वेक्षण किया था और उनके द्वारा एक नक्शा भी तैयार किया गया था, जिसे आधिकारिक तौर पर तत्कालीन शासक सातवें निजाममीर उस्मान अली खान को सौंप दिया था. उन्होंने कहा कि चारमीनार के आसपास विभिन्न स्थानों पर सुरंग की खुदाई का काम किया गया था और वास्तव में एक सुरंग मिली भी थी.

तेलंगाना टुडे ने इतिहासकार मोहम्मद सफीउल्लाह को उद्धृत किया है जो कहते हैं कि चारमीनार-गोलकुंडा सुरंग का अस्तित्व एक मिथक है. सफीउल्लाह के मुताबिक, “हैदराबाद एक पठारी क्षेत्र है और इतनी लंबी सुरंग बनाना बेहद असंभव है. हालांकि, महबूब चौक टॉवर के आसपास एक भूमिगत महल था, जो 4.5 एकड़ में फैला था, जो अंदर ही अंदर धंस गया.”