संभल की हिंसा प्रशासन की भेदभावपूर्ण नीति का नतीजा: मौलाना महमूद मदनी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 25-11-2024
Violence in Sambhal is the result of discriminatory policy of administration: Maulana Mahmood Madani
Violence in Sambhal is the result of discriminatory policy of administration: Maulana Mahmood Madani

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने उत्तर प्रदेश के संभल जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान पुलिस फायरिंग में तीन मुस्लिम युवकों की मौत और हिंसा पर गहरी नाराजगी और दुख व्यक्त किया. उन्होंने इस घटना के लिए राज्य सरकार और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया.

मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद किसी भी दल की हिंसा का समर्थन नहीं करती, लेकिन पुलिस की यह कार्रवाई न केवल अन्यायपूर्ण बल्कि भेदभावपूर्ण है, जिससे निर्दोष जानें गईं. उन्होंने कहा कि संविधान हर नागरिक को समानता, सम्मान और सुरक्षा का अधिकार देता है. अगर कोई सरकार किसी समुदाय के जीवन और संपत्ति को कमतर समझती है, तो यह संविधान और कानून का उल्लंघन है.

उन्होंने चेतावनी दी थी कि मस्जिदों में मंदिर खोजने की कोशिशें देश के शांति और सौहार्द के लिए खतरनाक हैं. मौजूदा घटना ने इस दृष्टिकोण को सत्यापित किया है. संभल में पहले दिन जनता ने सर्वे टीम के साथ सहयोग किया था, लेकिन आज जब टीम जा रही थी, तो उनके साथ मौजूद कुछ लोगों ने भड़काऊ नारेबाजी की, जिससे हिंसा हुई.

उन्होंने सवाल किया कि पुलिस ने ऐसे लोगों को मस्जिद में जाने और उकसाने की अनुमति क्यों दी?मौलाना मदनी ने अदालत के तत्काल सर्वे आदेश पर भी सवाल उठाया, जिसे उन्होंने धार्मिक स्थलों की संवेदनशीलता और न्यायिक प्रणाली के खिलाफ बताया.

उन्होंने कहा कि संविधान धार्मिक स्थलों की 1947 की स्थिति की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, और इसे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए बदलने का प्रयास देश की एकता के लिए खतरनाक है.उन्होंने प्रशासन से शांति और सामाजिक सद्भाव को प्राथमिकता देने की अपील की. जमीयत ने अदालत की निगरानी में घटना की निष्पक्ष जांच, दोषी अधिकारियों को सजा, और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की मांग की.

जमीयत के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी लगातार स्थानीय लोगों के संपर्क में हैं और शांति बहाली के लिए प्रयासरत हैं.