यूपी: बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने के आरोप में डॉक्टर पर केस दर्ज

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 08-12-2025
UP: Doctor booked for posting objectionable video on Babri mosque demolition anniversary
UP: Doctor booked for posting objectionable video on Babri mosque demolition anniversary

 

मेरठ (यूपी)
 
पुलिस ने सोमवार को बताया कि यहां एक महिला डॉक्टर पर अयोध्या में 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बारे में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
 
अधिकारियों ने बताया कि मावाना इलाके की बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BAMS) की डॉक्टर शीबा खान को शांति भंग करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था, बाद में उन्हें पर्सनल बॉन्ड पर रिहा कर दिया गया।
 
सुरक्षा उपायों के मद्देनजर 6 दिसंबर को सोशल मीडिया गतिविधि पर कड़ी निगरानी के दौरान यह वीडियो अधिकारियों के संज्ञान में आया।
 
मावाना स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) पूनम जादौन ने बताया कि डॉक्टर ने बाबरी मस्जिद मामले से जुड़ा एक एडिटेड ऑडियो-वीडियो क्लिप अपलोड किया था, जिसे सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश के तौर पर देखा गया। SHO ने PTI को बताया कि एक शिकायत दर्ज की गई और भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 196 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया।
 
पुलिस ने रविवार को उन्हें अब्दुल्लापुर में उनके क्लिनिक से हिरासत में लिया और शांति भंग करने के निवारक प्रावधानों के तहत पेश किया। उप-विभागीय मजिस्ट्रेट संतोष कुमार सिंह ने बताया कि बाद में उन्हें एक अदालत में पेश करने के बाद पर्सनल बॉन्ड पर रिहा कर दिया गया।
 
अधिकारियों ने बताया कि वीडियो की तकनीकी जांच चल रही है और रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने अफवाहों या किसी भी तनावपूर्ण स्थिति को फैलने से रोकने के लिए इलाके में निगरानी बढ़ा दी है।
 
6 दिसंबर, 1992 को सैकड़ों 'कारसेवकों' ने अयोध्या में 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था, जिसके बारे में हिंदू संगठनों का दावा था कि यह भगवान राम के जन्मस्थान पर एक मंदिर के ऊपर बनाई गई थी। पिछले कुछ सालों में, विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदू संगठन इस दिन को शौर्य दिवस के रूप में मनाते हैं, जबकि मुस्लिम समूह इसे 'काला दिवस' या 'यौम-ए-गम' (दुख का दिन) के रूप में मनाते हैं।