त्रिपुरा सांप्रदाायिक हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने याची को प्रत्युत्तर दाखिल करने की दी अुनमति

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 24-01-2022
सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में त्रिपुरा में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच संबंधी याचिका को खारिज करने की मांग वाली सरकार की याचिका के जवाब में याचिकाकर्ता को प्रत्युत्तर दाखिल करने की अनुमति दे दी है.


अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा सी ग्रेड के टीवी चैनल इस तरह की बातें करते हैं, लेकिन सांप्रदायिक हिंसा के इतने संवेदनशील मामले में राज्य सरकार से इसकी उम्मीद नहीं की जाती है.

 

त्रिपुरा सरकार ने एक हलफनामे में पूछा था कि जनहित याचिका दायर करने वाले जन-उत्साही नागरिक पश्चिम बंगाल हिंसा पर चुप क्यों हैं. राज्य की प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए भूषण ने कहा कि यह सरकार की बेहतर मंशा को नहीं प्रदर्शित करता है. दलीलें सुनने के बाद, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने याचिकाकर्ता से मामले में अपना प्रत्युत्तर देने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी को निर्धारित की.

 

त्रिपुरा सरकार ने कहा कोई भी व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह जो पेशेवर रूप से सार्वजनिक तौर उत्साही व्यक्तियों के रूप में कार्य कर रहा है, वह अपने कुछ स्पष्ट लेकिन गुप्त मकसद को प्राप्त करने के लिए इस अदालत के असाधारण अधिकार क्षेत्र का चयन नहीं कर सकता है. राज्य सरकार ने यह भी दावा किया कि इसके खिलाफ आरोप टैब्लॉयड में लगाए गए और पूर्व नियोजित लेखों से शुरू हुए.

 

राज्य सरकार ने आगे कहा कि ये लोग इससे खासकर नाराज थे, हालांकि वे बड़े पैमाने पर पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा पर चुप रहे थे.

 

शीर्ष अदालत ने 29 नवंबर को त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा की स्वतंत्र एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था. प्रशांत भूषण के माध्यम यह याचिका हाशमी द्वारा दायर की गई है जिसमें केंद्र, त्रिपुरा सरकार और राज्य पुलिस महानिदेशक को प्रतिवादी बनाया गया है.

 

याचिका में दावा किया गया है कि पिछले साल 13 अक्टूबर से 27 अक्टूबर के बीच त्रिपुरा में संगठित भीड़ द्वारा उन्मादी अपराध किए गए थे. याचिका में कहा गया है, इनमें मस्जिदों को नुकसान पहुंचाना, मुसलमानों के स्वामित्व वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों को जलाना,नफरत के नारे लगाने वाली रैलियां आयोजित करना और त्रिपुरा के विभिन्न हिस्सों में मुसलमानों को निशाना बनाने वाले नफरत भरे भाषण देना शामिल है. याचिका में कहा गया है कि मस्जिदों को अपवित्र करने या दुकानों में तोड़फोड़ करने और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाले नफरत भरे भाषण देने के लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी नहीं हुई है.