आतिर खान, प्रधान संपादक
प्यारे पाठको,
यह आवाज- द वॉयस की तीसरी वर्षगांठ हैं. हम आपके उस सहृदय समर्थन के लिए आपका शुक्रिया अदा करना चाहते हैं, जिससे हमें बड़ी कामयाबी हासिल हुई है.
हमारी यात्रा का आरंभ उस मुश्किल वक्त में हुआ, जब सिर्फ अतिवादी विचार ही एल्गोरिदम की हवा पर चढ़कर लहरा रहे थे, जब नफरती बयान, कट्टरता और भ्रामक सूचनाएं शिखर पर थीं.
सच की तुलना में झूठ काफी दूर तक, तेजी से, गहराई से और व्यापक रूप से फैल चुका है. मीडिया की सामग्री के मुक्त बाजार में, कथित मुख्यधारा का मीडिया मांग और आपूर्ति के वक्र की सवारी गांठ रहा था.
इसी राह पर चलना हमारे लिए भी सुविधाजनक होता. हम बस ऐसी सामग्री तैयार करते, जिनसे जोरदार जज्बात को हवा मिलती और इससे हम पाठकों का इंगेजमेंट हासिल करते और वह हमारे वेबसाइट और सोशल मीडिया मंचों पर अधिकाधिक वक्त बिताते. लेकिन हमने अलहदा राह चुनने का जिगर दिखाया.
हमने एक ऐसा मार्ग पकड़ा, जिसने हमें सकारात्मकता, उम्मीद और प्रेरणास्पद पत्रकारिता की दिशा दी. हमें प्रसन्नता है कि हमने यह राह चुनी. इन तीन वर्षों में हमने पाया कि हमारी पत्रकारिता का एक व्यापक पाठकवर्ग उपलब्ध है. और हर गुजरते दिन के साथ हमारा पाठक वर्ग बढ़ता जा रहा है.
हमें इस बात का ऐलान करने में बेहद खुशी हो रही है कि बहुत जल्द हम हमारे सभी मंचों का साझा व्यूज एक अरब के आंकड़े को पार कर जाएगा. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मीडिया मानकों के लिहाज से भी यह मील का पत्थर हासिल करना हमारे लिए काफी बड़ी उपलब्धि होगी.
यह सब हमें अपने पाठको/दर्शकों से मिल रहे प्रोत्साहन के बगैर मुमकिन नहीं होता. हमारी तरह की पत्रकारिता का पाठक बनने के लिए हम आपके बहुत आभारी हैं.
तीन वर्ष पूरे होने के अवसर पर, हम अपने वार्षिकांकों के साथ प्रस्तुत हैं, जिसके जरिए आप हमारे कामकाज की झलक हासिल कर पाएंगे. हमें उम्मीद है कि आपको यह संस्करण पसंद आएंगे.
हमारे उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी, असमिया और मराठी प्रभागों ने अपनी खास जगह बनाई है. पांच भाषाओं की हमारी सामग्रियों का उपयोग शोधार्थी, नीति-निर्माता और अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंक भी कर रहे हैं. अपने असमिया और मराठी प्रभागों की सफलात से प्रेरित होकर हम जल्द ही अपना अरबी संस्करण लॉन्च करेंगे.
हमें भरोसा है कि ध्रुवीकरण और असहिष्णुता का दौर अब पूरा हो चुका है और हमें इसकी पूरी उम्मीद है कि अब इसका अंत निकट है. अतीत की उस अवधि से एक कठिन दौर भी आया. लेकिन, उस वक्त एक अच्छी बात हुई कि इसकी वजह से विभिन्न समुदायों के बीच एक बेहतर समझ भी पैदा हुई.
इस दौर में ही, हमारे समुदाय अपने खोल से बार आए और हमारी दुनिया के बारे में उनके विचार व्यापक होने हुए.
इन कठिन दौर में, आवाज- द वॉयस ने अपनी बुनियाद को पकड़े रखा और सामाजिक सौहार्द के पुल तैयार करने में अपना योगदान देता रहा. हमारी खबरों और सामग्री ने समुदायों को सशक्त किया है और उन्हें मुख्यधारा की ओर मोड़ने में मदद की है.
देश अब ध्रुवीकरण के उलट, आपसी समझ के रोमांचक दौर में प्रवेश कर रहा है. हम गुणवत्तापूर्ण सामग्री के जरिए इसमें अपना योगदान करने को तत्पर हैं, जिससे बेहतर समझ विकसित होगी और जो देश को विश्व के प्रभावशाली राष्ट्रों का अगुआ बनाने में मददगार साबित होगा.
इस नए दौर के लिए टीम आवाज- द वॉयस तैयार है और हमें उम्मीद है कि भविष्य में भी आपका उत्साहवर्धन हमें मिलता रहेगा.