महाराष्ट्र : स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने के आदेश पर बवाल, तीखा विरोध

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-06-2025
There was uproar over the order to make Hindi the third language in Maharashtra schools; Marathi organizations and Congress protested strongly
There was uproar over the order to make Hindi the third language in Maharashtra schools; Marathi organizations and Congress protested strongly

 

मुंबई

महाराष्ट्र सरकार ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में लागू करने का आदेश जारी किया है। इस निर्णय के खिलाफ मराठी समर्थक संगठनों और कांग्रेस ने तीखा विरोध जताया है।

मंगलवार को जारी संशोधित सरकारी आदेश में कहा गया है कि हिंदी "आम तौर पर" तीसरी भाषा होगी, लेकिन यदि किसी कक्षा में 20 से अधिक छात्र किसी अन्य भारतीय भाषा को पढ़ना चाहें, तो उन्हें यह विकल्प मिलेगा। हालांकि, इस शर्त को लेकर विरोधियों का कहना है कि यह हिंदी को "गुपचुप तरीके से थोपने" की रणनीति है।

सरकारी आदेश और विवाद की जड़

राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने यह निर्देश 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020' के तहत 'राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा 2024' के क्रियान्वयन के हिस्से के रूप में जारी किया है। आदेश के मुताबिक, पहली से पांचवीं तक सभी छात्रों को हिंदी तीसरी भाषा के रूप में पढ़नी होगी, सिवाय इसके कि किसी अन्य भाषा के लिए कम से कम 20 छात्रों की मांग हो।

आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी अन्य भाषा की मांग होती है, तो उसके लिए या तो शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे या ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा दी जाएगी।

भूतपूर्व बयानों से उलट कदम

स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने पहले कहा था कि प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी अनिवार्य नहीं होगी। अप्रैल में उन्होंने यह भी कहा था कि त्रिभाषा फार्मूला स्थगित कर दिया गया है और स्कूल दो-भाषा प्रणाली से ही काम करेंगे। अब नया आदेश उनके बयानों के विपरीत माना जा रहा है।

मराठी संगठनों का आक्रोश

मराठी भाषा अभ्यास केंद्र के दीपक पवार ने सरकार पर मराठी जनता के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट रूप से हिंदी को थोपने की चुपचाप कोशिश है। अगर हमने अभी विरोध नहीं किया, तो यह महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान और संघीय ढांचे के लिए खतरा बन सकता है।”

पूर्व शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष वसंत कल्पांडे ने भी सवाल उठाया कि एक कक्षा में 20 छात्रों का किसी वैकल्पिक भाषा के लिए एकत्र होना व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कहा, "यह प्रावधान हिंदी को ही एकमात्र विकल्प बनाकर प्रस्तुत करता है।"

कांग्रेस का तीखा हमला

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने सरकार के इस कदम को “हिंदी थोपने की साजिश” बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आरोप लगाया कि उन्होंने “मराठी लोगों की छाती में छुरा घोंपा” है। सपकाल ने सोशल मीडिया पर लिखा, “जनता को यह कहकर गुमराह किया गया कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी, लेकिन अब जो आदेश आया है, वह असली मंशा को उजागर करता है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि यह भाजपा का "एक राष्ट्र, एक भाषा, एक संस्कृति" एजेंडा है, जो मराठी भाषा, संस्कृति और अस्मिता को समाप्त करने की साजिश है।

सपकाल ने कहा, “फडणवीस, शिंदे और अजित पवार की निष्ठा महाराष्ट्र के बजाय दिल्ली की सत्ता के प्रति है।” उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा मंत्रालय जिनके पास है, वे मराठी को उसी तरह खत्म कर रहे हैं जैसे शिवसेना को तोड़ा गया।