नई दिल्ली
थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को स्पष्ट कहा कि ‘थिएटराइजेशन’ यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना की क्षमताओं का एकीकरण भविष्य में निश्चित रूप से होगा। अब सवाल सिर्फ यह है कि इसे लागू होने में कितना समय लगेगा।
उन्होंने कहा कि अगर हमें कई एजेंसियों के साथ मिलकर काम करना है तो थिएटराइजेशन ही उसका समाधान है।
जनरल द्विवेदी यहां मानेकशॉ सेंटर में ‘ऑपरेशन सिंदूर: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडिया’ज़ डीप स्ट्राइक्स इनसाइड पाकिस्तान’ नामक पुस्तक के विमोचन के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उनसे थिएटराइजेशन पर उनकी राय पूछी गई, क्योंकि हाल ही में इस मुद्दे पर सेनाओं के बीच अलग-अलग दृष्टिकोण सामने आए हैं।
सेना प्रमुख ने कहा, “थिएटराइजेशन आज हो या कल, आकर रहेगा। हमें बस यह देखना है कि इसमें कितना समय लगेगा। इसे लागू करने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे, जिनमें ‘जॉइंटनेस’ और ‘इंटीग्रेशन’ अहम हैं। कई बातों पर चर्चा जरूरी है।”
उन्होंने यह भी बताया कि थिएटराइजेशन क्यों आवश्यक है। उनके अनुसार, “जब हम युद्ध लड़ते हैं तो सेना अकेली नहीं लड़ती। हमारे साथ सीमा सुरक्षा बल (BSF) और आईटीबीपी होती है। इसके अलावा तीनों सेनाओं के साथ डिफेंस साइबर एजेंसी, डिफेंस स्पेस एजेंसी और अब कॉग्निटिव वॉरफेयर एजेंसी भी जुड़ चुकी हैं। साथ ही इसरो, सिविल डिफेंस, सिविल एविएशन, रेलवे, एनसीसी, राज्य और केंद्र प्रशासन भी जुड़े रहते हैं। इतने संस्थानों के बीच समन्वय बनाए रखने के लिए थिएटराइजेशन जरूरी है। क्योंकि ‘यूनिटी ऑफ कमांड’ सबसे अहम है और एक कमांडर की मौजूदगी ही समन्वय को सुनिश्चित कर सकती है।”
जनरल द्विवेदी की यह टिप्पणी उस समय आई है जब करीब दो सप्ताह पहले वायुसेना और नौसेना प्रमुखों ने इस मुद्दे पर अपने विचार रखे थे। पिछले महीने महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में हुए दो दिवसीय त्रि-सेवा सेमिनार ‘रण संवाद’ में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने थिएटराइजेशन पर अपने विचार व्यक्त किए थे और यह साफ कर दिया था कि दोनों सेनाओं की राय इस पर अलग है।
वायुसेना प्रमुख ने कहा था कि सेनाओं को किसी दबाव में आकर ‘थिएटर कमांड’ लागू नहीं करना चाहिए। वहीं, कार्यक्रम के समापन सत्र में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा था कि तीनों सेनाओं के बीच इस मुद्दे पर जो मतभेद हैं, उन्हें राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर दूर किया जाएगा।
मीडिया से बातचीत में सेना प्रमुख से वस्तु एवं सेवा कर (GST) में रक्षा उपकरणों पर दरों में कटौती के बारे में भी सवाल पूछा गया। उन्होंने सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “इससे हमारे डिफेंस कॉरिडोर को बड़ी बढ़त मिलेगी। एमएसएमई और स्टार्टअप्स को फंड की कमी रहती है, लेकिन जीएसटी कटौती से उन्हें सहारा मिलेगा।”
जनरल द्विवेदी ने बताया कि सेना तीन मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान देती है— अनुसंधान एवं विकास (R&D), प्रशिक्षण और आधुनिकीकरण। जीएसटी दर में कटौती से इन तीनों को लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि भारी उपकरणों पर जीएसटी दर 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है। इससे सेना के आधुनिकीकरण और उन्नयन के कामों को तेजी मिलेगी।
बिना हथियार वाले ड्रोन (UAV) पर जीएसटी कटौती को लेकर उन्होंने कहा, “यह एक बड़ा कदम है। भविष्य के युद्धों में ड्रोन, यूएवी और काउंटर-यूएवी की भूमिका बहुत बड़ी होगी। इसलिए यह हमारे लिए अच्छी खबर है।”
एलओसी (Line of Control) की स्थिति पर पूछे गए सवाल पर सेना प्रमुख ने कहा कि “हमें इसका आकलन दीर्घकालिक दृष्टिकोण से करना होगा। क्या आज राज्य प्रायोजित आतंकवाद बंद हो गया है? मुझे नहीं लगता। क्योंकि घुसपैठ की कोशिशें अब भी जारी हैं। कितने आतंकवादी मारे गए और कितने भाग निकले— यह सब मीडिया में आ ही चुका है।”