नई दिल्ली
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) के सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि सरकार भारतीय चीनी उद्योग की कुछ सिफारिशों पर सक्रिय रूप से काम कर रही है, ताकि चीनी का अधिशेष स्टॉक बनने से रोका जा सके और साथ ही गन्ना किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके। यह बयान उन्होंने इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) की वार्षिक बैठक में दिया।
ISMA की मांगों में चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) बढ़ाना और इथेनॉल की खरीद दर बढ़ाना शामिल हैं। चोपड़ा ने कहा कि उद्योग की चिंताएँ सरकार की प्राथमिकता सूची में हैं और उनका सक्रियता से अध्ययन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि गन्ने की उत्पादन संभावनाएँ सकारात्मक हैं, 2025-26 में गन्ने की क्षेत्रफल 56.93 लाख हेक्टेयर तक बढ़ गई है, और अनुमानित उत्पादन 47.56 लाख टन होने का अनुमान है। सरकार का चीनी उत्पादन अनुमान 343 लाख टन है, जो ISMA के अनुमानों के अनुरूप है।
चीनी स्टॉक प्रबंधन के लिए इथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम ने अतिरिक्त राजस्व स्रोत प्रदान किया है, लेकिन केवल 28% इथेनॉल फीडस्टॉक गन्ने से आया है, बाकी 72% अनाज से। इससे लगभग 34 लाख टन चीनी इथेनॉल उत्पादन में उपयोग होगी, जो अपेक्षाओं से कम है।
सरकार ने पहले ही 15 लाख टन चीनी का निर्यात अनुमति दी है और चोपड़ा ने कहा कि निर्यात की शर्तें बेहतर होने की संभावना है।
इसके अलावा, चोपड़ा ने नया शुगर कंट्रोल ऑर्डर, 2025 पेश करने की घोषणा की, जो 1996 के पुराने आदेश की जगह लेगा। नया फ्रेमवर्क डिजिटल सिस्टम और रियल-टाइम डेटा मॉनिटरिंग के माध्यम से नियमों को अधिक पारदर्शी और तकनीकी-केंद्रित बनाने का लक्ष्य रखता है।






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