The Developed India Education Foundation Bill does not threaten the autonomy of states: Dharmendra Pradhan
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को विपक्ष की इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया कि विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक- 2025 से संस्थागत स्वायत्तता कमजोर होगी।
उन्होंने कहा कि राज्यों के पास वर्तमान में मौजूद समान शक्तियां बनी रहेंगी।
इससे पहले दिन में प्रधान ने इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी)के पास भेजे जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इस विधेयक में उच्च शिक्षा संस्थानों को विनियमित करने के लिए 13 सदस्यीय निकाय की स्थापना का प्रस्ताव है।
प्रधान ने यहां प्रेसवार्ता में कहा, ‘‘संस्थागत स्वायत्तता को कोई खतरा नहीं है और यदि विपक्ष को कुछ चिंताएं या गलतफहमियां हैं, तो उन्हें जेपीसी द्वारा दूर किया जा सकता है। राज्यों के पास जो शक्तियां हैं, वे यथावत रहेंगी।”
विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक-2025 का नाम पहले उच्च भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (एचईसीआई) विधेयक-2025 रखा गया था। विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप पेश किया गया है, जिसका उद्देश्य तीन मौजूदा नियामक निकायों - विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईटीसी) और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) - को एक एकीकृत आयोग में विलय करना है जिसे विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान कहा जाएगा।
फिलहाल भारत में गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा संस्थानों का विनियमन यूजीसी, तकनीकी शिक्षा का पर्यवेक्षण एआईसीटीई और शिक्षक शिक्षा का विनियमन एनसीटीई करती है। प्रस्तावित आयोग के अंतर्गत, भारत में विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) के विनियमन, प्रत्यायन और शैक्षणिक मानकों को सुनिश्चित करने के लिए तीन परिषदें होंगी।