आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री नीलकंठ मिश्रा ने मंगलवार को कहा कि रुपये में आगे और गिरावट आने का अनुमान है और घरेलू मुद्रा में हो रहे उतार-चढ़ाव से घबराने की जरूरत नहीं है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर है।
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के लिए समझदारी की बात यह होगी कि वह अपने हस्तक्षेप के लिए किसी एक खास स्तर को लक्ष्य न बनाए। मिश्रा प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अंशकालिक सदस्य भी हैं।
उन्होंने विदेशी मुद्रा भंडार का उल्लेख करते हुए कहा, ''मेरे हिसाब से घबराने की जरूरत इसलिए नहीं है, क्योंकि 685-690 अरब डॉलर के साथ आप बेहद मजबूत स्थिति में हैं।''
मिश्रा ने कहा कि 'फॉरवर्ड मार्केट' में दांव को लेकर आरबीआई की रणनीति समस्या पैदा कर रही है और पहले डॉलर के मुकाबले रुपये के 83 के स्तर को बचाने की कोशिश करना एक गलती थी।
उल्लेखनीय है कि ‘फॉरवर्ड मार्केट’ में दो पक्ष निजी तौर पर किसी परिसंपत्ति (जैसे मुद्रा, वस्तु या प्रतिभूति) को भविष्य की किसी निश्चित तिथि पर एक विशिष्ट मूल्य पर खरीदने या बेचने के लिए सहमत होते हैं। इसमें मूल्य अस्थिरता से बचाव और जोखिम प्रबंधन के लिए केंद्रीकृत एक्सचेंज पर निर्भर रहने के बजाय ‘फॉरवर्ड’ अनुबंधों का उपयोग किया जाता है ।
उन्होंने कहा, ''उन पुरानी गलतियों का असर अब भी हमें परेशान कर रहा है।''
मिश्रा ने कहा कि रुपया और कमजोर होगा तथा जून 2027 तक इसके 92–94 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पहली बार 91 के स्तर को पार कर गया, हालांकि कारोबार के अंत में यह 15 पैसे कमजोर होकर 90.93 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
मिश्रा ने कहा कि मूल रूप से रुपये के लिए कोई चुनौती नहीं है। उन्होंने पिछले कुछ दिनों में अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट जैसी विदेशी कंपनियों द्वारा की गई निवेश प्रतिबद्धताओं का जिक्र किया और कहा कि भुगतान संतुलन भी प्रबंधनीय स्तर के भीतर रहेगा।