नई दिल्ली
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को त्रिनामूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा की याचिका को स्वीकार करते हुए कैश-फॉर-क्वेरी मामले में लोकपाल के आदेश को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने लोकपाल को मामले पर एक माह के भीतर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।
डिवीजन बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर शामिल थे, ने मोइत्रा की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा, "हम मानते हैं कि लोकपाल ने इस मामले में त्रुटिपूर्ण निर्णय लिया।"
महुआ मोइत्रा ने लोकपाल के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसने उनके खिलाफ सीबीआई को चार्जशीट दाखिल करने की मंजूरी दी थी। मोइत्रा का दावा था कि उनके लिखित और मौखिक तर्कों पर लोकपाल ने पर्याप्त विचार नहीं किया और उनकी टिप्पणियों को "अल्पकालिक" बताते हुए बाद में विचार करने की बात कही, जो लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम की धारा 20 का उल्लंघन है।
लोकपाल ने कथित तौर पर धारा 20(8) का गलत तरीके से प्रयोग किया, जबकि धारा 20(7) विशेष रूप से अभियोजन की मंजूरी से संबंधित है। वहीं, CBI की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने कहा कि मोइत्रा को मौखिक सुनवाई का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं था और उन्होंने अपने लिखित तर्क प्रस्तुत किए थे।
यह मामला अक्टूबर 2023 में अधिवक्ता जय अनंत देहद्राई द्वारा दर्ज शिकायत से उत्पन्न हुआ था। इसके बाद लोकपाल ने मामले को CBI को भेजा, जिसने फरवरी 2024 में प्रारंभिक और 30 जून 2024 को विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की। मोइत्रा को जुलाई में अपनी टिप्पणियाँ प्रस्तुत करने के लिए समय दिया गया और अक्टूबर में सुनवाई के बाद 12 नवंबर को लोकपाल ने CBI को मंजूरी दी।
महुआ मोइत्रा ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया है कि संविधानिक और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए लोकपाल ने आदेश दिया और यह निर्णय मनमाना एवं गैरकानूनी है।