नई दिल्ली,
विपक्ष ने बुधवार को राज्यसभा में भाजपा नेताओं पर इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्षों पर चल रही बहस का पूरा उद्देश्य भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करना है।
राज्यसभा में बहस में हिस्सा लेते हुए रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा ने स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान किया है, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्य इतिहासकार बनने का दावा करते हैं, लेकिन असल में वे इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं।
रमेश ने वन्दे मातरम् पर विभिन्न नेताओं जैसे सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ टैगोर, राजेंद्र प्रसाद और नेहरू के बीच पत्राचार का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि 28 सितंबर 1937 को राजेंद्र प्रसाद ने सदार वल्लभभाई पटेल को पत्र लिखा और कांग्रेस कार्यसमिति से वन्दे मातरम् पर स्पष्ट निर्णय लेने का अनुरोध किया। 28 अक्टूबर 1937 को कांग्रेस कार्यसमिति ने वन्दे मातरम् पर संकल्प पारित किया, जिसमें महात्मा गांधी, नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, पटेल, मौलाना आजाद सहित अन्य नेता मौजूद थे।
रमेश ने कहा कि भाजपा द्वारा टैगोर का अपमान भी किया गया। उन्होंने कहा, “सरकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय और टैगोर के बीच लड़ाई दिखा रही है। उनका असली उद्देश्य नेहरू को निशाना बनाना था, लेकिन टैगोर की भी अवहेलना हो रही है।”
त्रिणमूल सांसद रिताब्रत बनर्जी ने बताया कि 1905 में बंगाल के विभाजन के समय वन्दे मातरम् को विरोध आंदोलन का केंद्र बनाया गया था। उन्होंने कहा कि टैगोर ने 7 अगस्त 1905 को पहले बड़े विरोध प्रदर्शन में वन्दे मातरम् के पहले दो चरण स्वयं गाए थे।
वहीं, CPI सांसद पी. संधोष कुमार ने गांधी, नेहरू और अंबेडकर के योगदान पर विशेष चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा कि वन्दे मातरम् पर बहस स्वस्थ हो सकती थी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इसे विवादास्पद बना दिया।
बीजू जनता दल के सांसद देबाशिश समन्तराय ने पूछा कि जब देश ने वन्दे मातरम् और जन गण मन को स्वीकार कर लिया है, तो फिर संसद में इस पर बहस क्यों हो रही है। उन्होंने कहा, “वन्दे मातरम् हमारी राष्ट्रीय गान है, और जन गण मन हमारा राष्ट्रीय गान। इसे लेकर असमर्थक बहस की आवश्यकता नहीं है।”