नयी दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने पहलगाम आतंकी हमले के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट को लेकर गायिका और कार्यकर्ता नेहा सिंह राठौर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और उन्हें मुकदमे का सामना करने को कहा।
शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रही है।
न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने कहा कि इस समय वह "विद्रोह के आरोप" (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने) के मुद्दे में हस्तक्षेप नहीं कर रही है। शीर्ष अदालत ने उन्हें आरोप तय करते समय ये मुद्दे उठाने की भी स्वतंत्रता दी।
गायिका ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 19 सितंबर के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।
प्राथमिकी में राठौर पर एक खास धार्मिक समुदाय को निशाना बनाने और देश की एकता को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने अप्रैल के आखिरी हफ्ते में हजरतगंज थाने में अभय प्रताप सिंह नाम के एक व्यक्ति द्वारा अपने खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी को चुनौती दी थी। सिंह ने राठौर पर "धार्मिक आधार पर एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ भड़काने की बार-बार कोशिश" करने का आरोप लगाया था।
राठौर ने अपनी याचिका में दलील दी कि उन्हें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की कई धाराओं के तहत फंसाया गया है, जिसमें सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देना, सार्वजनिक शांति को भंग करना और भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालना शामिल है। उन पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत भी आरोप हैं।