आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को कहा कि सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण की तकनीकी बाधाएं ‘‘लगभग दूर कर ली गई हैं’’ और अब यह सर्वेक्षण तेजी से आगे बढ़ेगा.
उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण निर्धारित समयसीमा के भीतर पूरा कर लिया जाएगा और इस बात पर बल दिया कि समयसीमा को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा.
‘सर्वेक्षण की धीमी गति’ को लेकर चिंता जताई गई हैं, क्योंकि तकनीकी दिक्कतें और सर्वर की समस्याएं आंकड़े जुटाने के काम को प्रभावित कर रही हैं.
सिद्धरमैया ने मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष मधुसूदन आर. नाइक, उपायुक्तों (डीसी) और सभी जिला पंचायतों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की.
कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा 22 सितंबर से शुरू किया गया यह सर्वेक्षण सात अक्टूबर तक चलेगा.
सिद्धरमैया ने कहा, “सर्वेक्षण कार्य 22 सितंबर से शुरू हुआ है और सात अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा. कुछ तकनीकी समस्याएं हैं, जिनका समाधान लगभग कर लिया गया है। इसलिए, आज से सर्वेक्षण कार्य पूरी तरह से शुरू हो जाएगा.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि सभी उपायुक्तों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सर्वेक्षण को “बेहद गंभीरता से” लें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कार्य तय समयसीमा के भीतर पूरा हो जाए.
उन्होंने कहा, “सर्वेक्षण की अवधि बढ़ाने का कोई सवाल ही नहीं है. सर्वेक्षण में तेजी लानी होगी। आज से, बेंगलुरु सहित सभी जिलों में इसकी गति बढ़ाई जाएगी.”
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को जाति-आधारित सर्वेक्षण के नाम से प्रचलित सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को निर्देश दिया कि वह एकत्र किए गए आंकड़ों की गोपनीयता बनाए रखने के साथ-साथ स्वैच्छिक भागीदारी सुनिश्चित करे.