सैयद मोदी का हत्यारा जेल में रहेगा आजीवन

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 30-06-2022
सैयद मोदी
सैयद मोदी

 

लखनऊ. राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन सैयद मोदी की हत्या के चौंतीस साल बाद, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 1988 में सैयद मोदी की हत्या के मामले में दोषी भगवती सिंह उर्फ पप्पू को आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि की है.

पीठ ने कहा कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि सैयद मोदी को अपीलकर्ता ने एक अन्य आरोपी के सहयोग से एक बन्दूक का उपयोग करके मारा था.

न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की अवकाश पीठ ने बुधवार को फैसला सुनाया, जिसे उसने 21 मार्च, 2022 को दोषी पप्पू द्वारा दायर अपील की सुनवाई पूरी करने के बाद सुरक्षित रख लिया था.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, अदालत नंबर एक, लखनऊ ने 22 अगस्त, 2009 को पप्पू को मुकदमा चलाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

पप्पू अभी जेल में है.

अपने फैसले में, पीठ ने कहा, ‘‘रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्य से पता चलता है कि सह-आरोपी बलई सिंह, जिनकी मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई, ने एक स्वतंत्र गवाह की उपस्थिति में एक खुलासे में बयान दिया कि सैयद मोदी की हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्तौल साथ में दोषी पप्पू ने उसे कारतूस दिए थे.’’

बाद में जांच टीम ने वारदात में प्रयुक्त सामग्री को बरामद कर लिया.

सैयद मोदी की 28 जुलाई, 1988 को दो कार सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

सीबीआई ने जांच शुरू की और तत्कालीन कांग्रेस सांसद संजय सिंह, अमिता कुलकर्णी मोदी, अखिलेश सिंह, बलाई सिंह, अमर बहादुर सिंह, जितेंद्र सिंह उर्फ टिंकू और भगवती सिंह उर्फ पप्पू के खिलाफ आरोप दायर किए. अमिता कुलकर्णी मोदी उस समय सैयद मोदी की पत्नी थीं और बाद में उन्होंने संजय सिंह से शादी कर ली थी. पप्पू को छोड़कर अन्य सभी आरोपियों को या तो अदालतों ने बरी कर दिया या मुकदमे के दौरान उनकी मृत्यु हो गई.

पप्पू की ओर से यह तर्क दिया गया कि एक बार मुख्य आरोपी के बरी हो जाने के बाद, उसके खिलाफ सैयद मोदी को मारने का कोई मकसद नहीं रह गया और इसलिए उसे बरी कर दिया जाना चाहिए.

हालांकि पप्पू की पहचान करने वाला एक प्रत्यक्ष चश्मदीद था.