श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 29-11-2024
Supreme Court
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नई दिल्ली. भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद मामले की सुनवाई टाल दी. विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है.

इनमें से एक मामले में, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें हिंदू भक्तों द्वारा शुरू किए गए विभिन्न मुकदमों की स्थिरता को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति को खारिज कर दिया गया था.

याचिका में, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह ने उच्च न्यायालय द्वारा पारित 1 अगस्त के आदेश को चुनौती दी, जिसके तहत उच्च न्यायालय ने नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश सप्तम नियम 11 के तहत मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदनों को खारिज कर दिया था, जिसमें हिंदू भक्तों द्वारा दायर 15 विभिन्न मुकदमों में वादों को खारिज करने की मांग की गई थी.

प्रबंधन समिति ने अधिवक्ता महमूद प्राचा और आरएचए सिकंदर के माध्यम से याचिका दायर की है और उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने के लिए अंतरिम राहत भी मांगी है. शाही मस्जिद ईदगाह पर प्रतिस्पर्धी अधिकारों का दावा करते हुए विभिन्न वादियों द्वारा 15 से अधिक मुकदमे दायर किए गए हैं, इस आधार पर कि यह (कृष्ण जन्मभूमि) भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान है. याचिका में कहा गया है, ‘‘यहां याचिकाकर्ता, जिसे विभिन्न वादियों / प्रतिवादियों द्वारा विषय (15) मुकदमों में प्रतिवादी के रूप में खड़ा किया गया है, ने संबंधित वाद को खारिज करने के लिए प्रत्येक वाद में सीपीसी के आदेश सप्तम नियम 11 के तहत अलग-अलग आवेदन दायर किए थे. वादों को अन्य बातों के साथ-साथ सीमा अधिनियम, पूजा स्थल अधिनियम, विशिष्ट राहत अधिनियम, वक्फ अधिनियम और सीपीसी के एक अन्य आदेश के प्रावधानों द्वारा वर्जित किया गया था.’’

याचिका में कहा गया है, ‘‘सभी 15 मुकदमों में सभी पक्षों को सुनने के बाद, उच्च न्यायालय ने विभिन्न वादीध्प्रतिवादियों द्वारा दायर विभिन्न मुकदमों (जिनमें अलग-अलग दलीलें हैं और अलग-अलग राहत का दावा किया गया है) की चुनिंदा दलीलों को एक आम मिश्रण में मिलाकर एक स्वाभाविक रूप से त्रुटिपूर्ण निर्णय पारित किया है, ताकि 15 मुकदमों की दलीलों से एक नया समग्र वाद बनाया जा सके और उसके बाद, उन्हें चुनिंदा रूप से पढ़कर सभी 15 मुकदमों में सीपीसी के आदेश टप्प् नियम 11 के तहत दायर सभी आवेदनों को एक आम निर्णय द्वारा खारिज कर दिया जा सके.’’

मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘उच्च न्यायालय ने 15 मुकदमों की दलीलों को चुनिंदा रूप से मिलाकर एक आम निर्णय पारित किया है और प्रत्येक वाद की विशिष्ट दलीलों पर विचार नहीं किया है ताकि यह तय किया जा सके कि क्या वह विशेष वाद अपनी दलीलों के आधार पर कानून द्वारा वर्जित है.’’

1 अगस्त को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हिंदू भक्तों द्वारा शुरू किए गए मुकदमों की स्थिरता को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया. कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े विभिन्न मामलों को अलग-अलग कानूनी मंचों पर निपटाया जा रहा है. इससे पहले प्रबंध ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में अपील दायर की है, जिसमें मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि भूमि विवाद से संबंधित सभी याचिकाओं को जिला न्यायालय मथुरा, उत्तर प्रदेश से अपने पास स्थानांतरित कर लिया गया था.

मस्जिद ईदगाह ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 26 मई को पारित आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उसने कृष्ण जन्मभूमि विवाद से संबंधित ऐसे सभी मामलों को जिला न्यायालय मथुरा, उत्तर प्रदेश से अपने पास स्थानांतरित कर लिया था. लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री ने श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग करते हुए मथुरा की अदालत में मुकदमा दायर किया था. मथुरा की अदालत में दायर मुकदमे में भगवान कृष्ण के जन्मस्थान के पास कटरा केशव देव मंदिर के 13.37 एकड़ परिसर में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर 1669-70 में बनाई गई मस्जिद को हटाने की मांग की गई थी.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली

नई दिल्ली. भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद मामले की सुनवाई टाल दी. विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है.

इनमें से एक मामले में, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें हिंदू भक्तों द्वारा शुरू किए गए विभिन्न मुकदमों की स्थिरता को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति को खारिज कर दिया गया था.

याचिका में, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह ने उच्च न्यायालय द्वारा पारित 1 अगस्त के आदेश को चुनौती दी, जिसके तहत उच्च न्यायालय ने नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश सप्तम नियम 11 के तहत मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदनों को खारिज कर दिया था, जिसमें हिंदू भक्तों द्वारा दायर 15 विभिन्न मुकदमों में वादों को खारिज करने की मांग की गई थी.

प्रबंधन समिति ने अधिवक्ता महमूद प्राचा और आरएचए सिकंदर के माध्यम से याचिका दायर की है और उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने के लिए अंतरिम राहत भी मांगी है. शाही मस्जिद ईदगाह पर प्रतिस्पर्धी अधिकारों का दावा करते हुए विभिन्न वादियों द्वारा 15 से अधिक मुकदमे दायर किए गए हैं, इस आधार पर कि यह (कृष्ण जन्मभूमि) भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान है. याचिका में कहा गया है, ‘‘यहां याचिकाकर्ता, जिसे विभिन्न वादियों / प्रतिवादियों द्वारा विषय (15) मुकदमों में प्रतिवादी के रूप में खड़ा किया गया है, ने संबंधित वाद को खारिज करने के लिए प्रत्येक वाद में सीपीसी के आदेश सप्तम नियम 11 के तहत अलग-अलग आवेदन दायर किए थे. वादों को अन्य बातों के साथ-साथ सीमा अधिनियम, पूजा स्थल अधिनियम, विशिष्ट राहत अधिनियम, वक्फ अधिनियम और सीपीसी के एक अन्य आदेश के प्रावधानों द्वारा वर्जित किया गया था.’’

याचिका में कहा गया है, ‘‘सभी 15 मुकदमों में सभी पक्षों को सुनने के बाद, उच्च न्यायालय ने विभिन्न वादीध्प्रतिवादियों द्वारा दायर विभिन्न मुकदमों (जिनमें अलग-अलग दलीलें हैं और अलग-अलग राहत का दावा किया गया है) की चुनिंदा दलीलों को एक आम मिश्रण में मिलाकर एक स्वाभाविक रूप से त्रुटिपूर्ण निर्णय पारित किया है, ताकि 15 मुकदमों की दलीलों से एक नया समग्र वाद बनाया जा सके और उसके बाद, उन्हें चुनिंदा रूप से पढ़कर सभी 15 मुकदमों में सीपीसी के आदेश टप्प् नियम 11 के तहत दायर सभी आवेदनों को एक आम निर्णय द्वारा खारिज कर दिया जा सके.’’

मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘उच्च न्यायालय ने 15 मुकदमों की दलीलों को चुनिंदा रूप से मिलाकर एक आम निर्णय पारित किया है और प्रत्येक वाद की विशिष्ट दलीलों पर विचार नहीं किया है ताकि यह तय किया जा सके कि क्या वह विशेष वाद अपनी दलीलों के आधार पर कानून द्वारा वर्जित है.’’

1 अगस्त को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हिंदू भक्तों द्वारा शुरू किए गए मुकदमों की स्थिरता को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया. कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े विभिन्न मामलों को अलग-अलग कानूनी मंचों पर निपटाया जा रहा है. इससे पहले प्रबंध ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में अपील दायर की है, जिसमें मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि भूमि विवाद से संबंधित सभी याचिकाओं को जिला न्यायालय मथुरा, उत्तर प्रदेश से अपने पास स्थानांतरित कर लिया गया था.

मस्जिद ईदगाह ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 26 मई को पारित आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उसने कृष्ण जन्मभूमि विवाद से संबंधित ऐसे सभी मामलों को जिला न्यायालय मथुरा, उत्तर प्रदेश से अपने पास स्थानांतरित कर लिया था. लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री ने श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग करते हुए मथुरा की अदालत में मुकदमा दायर किया था. मथुरा की अदालत में दायर मुकदमे में भगवान कृष्ण के जन्मस्थान के पास कटरा केशव देव मंदिर के 13.37 एकड़ परिसर में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर 1669-70 में बनाई गई मस्जिद को हटाने की मांग की गई थी.