सुप्रीम कोर्ट 'उदयपुर फाइल्स' रिलीज पर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 14-07-2025
Supreme Court agrees to hear plea on 'Udaipur Files' release
Supreme Court agrees to hear plea on 'Udaipur Files' release

 

नई दिल्ली
 
सुप्रीम कोर्ट फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज़ पर लगी रोक हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। फिल्म के निर्माता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने याचिका का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया कि सीबीएफसी ने पहले ही उक्त फिल्म को मंजूरी दे दी है और इसे रिलीज़ न करना उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
 
दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में फिल्म की आधिकारिक रिलीज़ तिथि से एक दिन पहले इसकी रिलीज़ पर रोक लगा दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार, 10 जुलाई को फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने का आदेश दिया।
 
यह रोक तब तक प्रभावी रहेगी जब तक केंद्र सरकार केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा दिए गए प्रमाणन के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर पुनरीक्षण आवेदन पर फैसला नहीं ले लेती।
 
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद और पत्रकार प्रशांत टंडन द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें फिल्म को प्रमाणन देने के सीबीएफसी के फैसले को चुनौती दी गई थी।
 
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि विषय की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए, फिल्म की रिलीज़ सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकती है और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।
 
न्यायालय ने कहा कि चूँकि याचिकाकर्ताओं को सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के तहत पुनरीक्षण उपाय का उपयोग करने के लिए बाध्य किया गया था, इसलिए अंतरिम राहत के लिए उनके आवेदन पर निर्णय होने तक फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाई जानी चाहिए।
 
पीठ ने कहा, "हम प्रावधान करते हैं कि अंतरिम राहत दिए जाने पर निर्णय होने तक फिल्म की रिलीज़ पर रोक रहेगी।"
 
'उदयपुर फाइल्स' राजस्थान के उदयपुर में एक दर्जी कन्हैया लाल की 2022 में हुई हत्या पर आधारित है, जिनकी पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट से कथित तौर पर नाराज़ दो लोगों ने दिनदहाड़े बेरहमी से हत्या कर दी थी।
 
इस घटना ने राष्ट्रीय आक्रोश पैदा कर दिया था और कट्टरपंथ तथा सांप्रदायिक हिंसा को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी थीं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि फिल्म इस घटना को सनसनीखेज बनाती है और तनाव को और बढ़ा सकती है। उन्होंने कई राज्यों में आगामी चुनावों से ठीक पहले रिलीज़ के समय पर भी चिंता जताई।
न्यायालय ने फिल्म के गुण-दोष पर विचार न करते हुए कहा कि सीबीएफसी प्रमाणन को चुनौती देने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अंतरिम अवधि में कोई अपूरणीय क्षति न हो।