नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ओंकारेश्वर ठाकुर की एक याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने सुल्ली डील्स मामले में उनके खिलाफ दर्ज विभिन्न एफआईआर को एक साथ जोड़ने की गुजारिश की है. ठाकुर ने कथित तौर पर सुल्ली डील्स मोबाइल एप्लिकेशन बनाई थी, जिस पर काफी विवाद होने के बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज गई थीं.
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश ने आश्चर्य जताया कि क्या याचिका की अनुमति दी जा सकती है, क्योंकि आरोपी पर अलग-अलग कृत्यों को लेकर अलग-अलग अपराधों के लिए आरोप लगाए गए हैं और दो ऐप - सुली डील्स और बुल्ली बाई के घटनाक्रम के संबंध में भी प्रतिक्रिया देखने को मिली है.
पीठ ने कहा, "अलग-अलग अपराध हैं। एक है सुल्ली डील्स और दूसरा है बुल्ली बाई. क्या अलग-अलग अपराधों (के मामलों) को जोड़ा जा सकता है?" पीठ ने आगे पूछा, "यदि प्रत्येक वेबसाइट के संबंध में अलग-अलग कार्यवाही होती है, तो क्या यह कहना संभव है कि जो कुछ भी अपलोड किया गया है वह एक स्थान तक ही सीमित है?"
न्यायमूर्ति कौल ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, "आपने विभिन्न लोगों की तस्वीरें अपलोड की हैं और प्रत्येक एक पीड़ित पक्ष है."
हालांकि, शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र सरकारों से इस पर जवाब मांगा है. पीठ ने कहा कि ऐप पर कई (कंटेंट) अपलोड किए गए थे और इसके संबंध में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थी. शीर्ष अदालत ने जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. सुल्ली डील मामले में, दिल्ली की एक अदालत ने पहले ठाकुर को जमानत दी थी, जिन्हें इस साल जनवरी में गिरफ्तार किया गया था.
ठाकुर ने कथित तौर पर सुल्ली डील्स विकसित की, जो एक ओपन-सोर्स ऐप है जिसमें मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें और व्यक्तिगत जानकारी दी गई थी. ठाकुर का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव शर्मा ने अधिवक्ता साहिल भालिक और तुषार गिरी के साथ किया.
ठाकुर की याचिका में कहा गया है, "मौजूदा रिट याचिका में मांगी गई राहत इस अदालत द्वारा 'टीटी एंटनी बनाम केरल राज्य' में पारित फैसले के संदर्भ में है, जिसमें पहली प्राथमिकी को छोड़कर सभी समान एफआईआर को रद्द किया गया और इसे एक एकल जांच के साथ आगे बढ़ाया जा सकता है. इसके विकल्प में, याचिकाकर्ता बाद की सभी प्राथमिकी को पहली प्राथमिकी के साथ जोड़ने की प्रार्थना करता है, जो कि पुलिस स्टेशन स्पेशल सेल, दिल्ली में दर्ज है."
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि पुलिस स्टेशन, स्पेशल सेल, दिल्ली में 7 जुलाई, 2021 को पहली बार दर्ज की गई प्राथमिकी को मुख्य प्राथमिकी माना जा सकता है और इसके बाद की प्राथमिकी को रद्द किया जा सकता है.