आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोयम्बटूर और मदुरै में प्रस्तावित मेट्रो रेल परियोजनाओं को केंद्र द्वारा अस्वीकृत किए जाने पर गहरी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु देश का सबसे अधिक शहरीकरण वाला राज्य है, जहाँ निजी वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में बड़े शहरों में मेट्रो जैसी उच्च क्षमता वाली सार्वजनिक परिवहन प्रणाली आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजनाओं को नकारा जाना न केवल अप्रत्याशित है, बल्कि दोनों शहरों के लोगों में असंतोष भी पैदा कर रहा है।
स्टालिन ने अपने पत्र में बताया कि उन्होंने मई और जुलाई में प्रधानमंत्री से मुलाकात कर इन परियोजनाओं की मंजूरी को प्राथमिकता देने की बात रखी थी। इसके बावजूद, केंद्र ने मेट्रो रेल नीति 2017 के तहत 20 लाख न्यूनतम जनसंख्या का हवाला देते हुए प्रस्ताव खारिज कर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि कोयम्बटूर की जनसंख्या 2011 में ही इस सीमा को पार कर चुकी थी और मदुरै भी अब उसके करीब है, इसलिए इस आधार पर अस्वीकृति उचित नहीं है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि इस मानक को समान रूप से लागू किया जाए तो आगरा, इंदौर और पटना जैसे शहरों में भी मेट्रो परियोजनाएं नहीं बन पातीं। उन्होंने इसे “चयनात्मक आवेदन” बताते हुए भेदभाव की आशंका जताई। स्टालिन ने उल्लेख किया कि दोनों शहरों की व्यापक गतिशीलता योजनाओं में मेट्रो की आवश्यकता स्पष्ट रूप से दर्ज है और यातायात अध्ययन भी इस मांग को सही ठहराते हैं।
उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण में किसी बाधा को उत्पन्न नहीं होने देगी और जमीन मालिकों को उचित मुआवजा दिया जाएगा। अंत में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग करते हुए परियोजना पर पुनर्विचार का आग्रह किया।