केरल में स्कूल के समय को बदलने के लिए खादर समिति की सिफारिश सक मुस्लिम निकाय ‘समस्त केरल जेम-इय्यातुल उलमा’ ने विरोध किा है. उसे लगता है कि ‘यह मदरसों में दिए जाने वाले धार्मिक अध्ययन को प्रभावित करेगा.’ समिति ने सिफारिश की है कि उच्च प्राथमिक से 12वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए स्कूल का समय सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक बदला जाए.
सिफारिश 22 सितंबर को सरकार को सौंपी गई सामान्य शिक्षा समिति की रिपोर्ट के दूसरे खंड में है. राज्य द्वारा संचालित स्कूलों का वर्तमान समय कुछ स्कूलों के मामले में सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक या 9.30 से 3.30 तक है. हालांकि, सुन्नी विद्वानों के मुस्लिम निकाय, जिसे समस्ता के नाम से जाना जाता है, ने आरोप लगाया कि सिफारिश का उद्देश्य धर्म के अध्ययन को हतोत्साहित करना है.
राज्य शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के पूर्व निदेशक एमए खादर समिति के अध्यक्ष हैं. शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के संदर्भ में श्गुणवत्तापूर्ण शिक्षा- बच्चों का अधिकारश् की अवधारणा के आधार पर समिति को 2017 में नियुक्त किया गया था. रिपोर्ट का पहला खंड जनवरी 2019 में प्रस्तुत किया गया था.
समिति ने अवलोकन करते हुए कहा कि केंद्रीय विद्यालयों और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम वाले स्कूलों में मौजूदा समय के अनुसार, कक्षाएं सुबह 7.30 बजे से 8.30 बजे के बीच शुरू होती हैं. शैक्षणिक कारणों से इसका पालन किया जा रहा है, यह कहते हुए कि केरल में वर्तमान स्कूल का समय लंबे समय से मौजूद है, समिति ने महसूस किया कि बच्चों के समग्र विकास के लिए इसे संशोधित किया जाना चाहिए. यह संशोधन बच्चों में मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और रचनात्मक तत्वों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें अनुभव देने में सक्षम होना चाहिए. इसके लिए बच्चों की उम्र और शारीरिक और मानसिक विशेषताओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए.
कमिटी ने सुझाव दिया कि प्री-स्कूल और आंगनवाड़ी का समय स्थानीय समुदायों द्वारा तय किया जा सकता है. पहली से चौथी कक्षा तक का समय सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हालांकि यह स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया जा सकता है, केवल यह कि सभी स्कूल कुल काम के घंटे रखें.’’ समिति ने कक्षा 5 से कक्षा 12 के लिए स्कूल के घंटे के रूप में सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक की सिफारिश की. 2 बजे से शाम 4 बजे तक पुस्तकालयों और प्रयोगशालाओं के लिए उपयोग किया जा सकता है.
समस्ता के राज्य सचिव अब्दुल समद पुककोट्टूर ने कहा कि इससे मदरसों में होने वाले धार्मिक अध्ययन पर असर पड़ेगा. उन्होंने एशियानेट न्यूज को बताया, ‘‘स्कूल के समय में बदलाव मदरसों के कामकाज को प्रभावित करेगा. मदरसा कक्षाएं अब केवल सुबह 7 बजे से 8.30 बजे तक छोटी अवधि के लिए हैं. यदि सिफारिश को लागू किया जाता है तो स्कूली बच्चों को धर्म का अध्ययन करने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं मिलेगा. इसलिए धार्मिक समुदाय के संगठन इसका कड़ा विरोध करते हैं. धर्म का अध्ययन एक ऐसी प्रक्रिया है जो बच्चों में ईश्वर में विश्वास को मजबूत करती है. जो लोग नास्तिक हैं, उन्होंने इसे नष्ट करने के उद्देश्य से समय में बदलाव को आगे बढ़ाया होगा,
उन्होंने कहा कि स्कूल के समय में बदलाव केरल में चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि नास्तिकों के एक वर्ग ने इस मुद्दे को उठाया है. उन्होंने कहा, “हमने अपनी आशंका के बारे में मुख्यमंत्री को बताया था, जब पाठ्यक्रम के ढांचे में सुझाव दिया गया था. अब जब यह सुझाव सरकार द्वारा नियुक्त समिति के माध्यम से आया है, तो हम चाहते हैं कि सरकार इसे अस्वीकार कर दे. अध्यक्ष सैयद मुहम्मद जिफरी मुथुकोया थंगल सहित समस्त के नेता निश्चित रूप से इस सिफारिश को अस्वीकार करने की मांग करेंगे.”