आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सेवानिवृत कर्मचारियों ने शुक्रवार को पेंशन संशोधन और सेवानिवृति के बाद के अन्य फायदों को लागू करने में देरी का आरोप लगाते हुए आंदोलन शुरू किया।
ऑल इंडिया नाबार्ड रिटायर्ड एम्प्लॉइज वेलफेयर एसोसिएशन (एआईएनआरईडब्ल्यूए) ने कहा कि यह आंदोलन केंद्र सरकार और नाबार्ड प्रबंधन द्वारा उनकी लंबे समय से लंबित मांगों को हल करने में देरी के खिलाफ है। एसोसिएशन देश भर में 3,500 से ज्यादा सेवानिवृत कर्मचारियों और पारिवारिक पेंशन प्राप्तकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करता है।
इन मांगों में एक नवंबर, 2017 को या उससे पहले सेवानिवृत हुए नाबार्ड में भर्ती कर्मचारियों के लिए पेंशन का संशोधन, सरकार द्वारा पहले से ही मंजूर संशोधित पारवारिक पेंशन को लागू करना, पारवारिक पेंशन पर ऊपरी सीमा को हटाना, 20 साल की सेवा के बाद पूरी पेंशन देना और आखिरी तनख्वाह या पिछले 10 महीनों के वेतन के औसत के आधार पर पेंशन, जो भी ज्यादा हो, तय करना शामिल है।
संगठन ने कहा कि 21 जुलाई, 2023 के एक सरकारी आदेश के जरिये नाबार्ड में भर्ती पेंशनधारकों को पेंशन संशोधन से बाहर कर दिया, जिससे रिटायर्ड कर्मचारियों की दो श्रेणियां बन गईं। इसे उसने ‘भेदभावपूर्ण’ बताया।
पेंशनधारकों के संगठन ने कहा कि सरकार द्वारा मंजूर पारवारिक पेंशन में संशोधन 30 महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी लागू नहीं किया गया है, जिससे बुजुर्ग पारिवारिक पेंशनधारकों को परेशानी हो रही है।
आंदोलन के हिस्से के रूप में, पांच दिसंबर को नाबार्ड चेयरमैन को और 12 दिसंबर को निदेशक मंडल को ज्ञापन सौंपे गए।
सेवानिवृत कर्मचारियों ने यहां प्रदर्शन भी किया और संसद के सामने धरना और भूख हड़ताल करके अपने विरोध को और तेज करने की चेतावनी दी।