नई दिल्ली. दिल्ली आकाशवाणी रंग भवन सभागार में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें ‘राम मंदिर, राष्ट्र मंदिर - एक साझी विरासतः कुछ अनसुनी बातें’ पुस्तक का विमोचन किया गया, जिसकी लेखक गीता सिंह और आरिफ खान भारती हैं. पुस्तक की प्रस्तावना आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने लिखी है.
पुस्तक विमोचन के अवसर पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार, विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र (ट्रस्ट) अयोध्या के कोषाध्यक्ष गोविंद देव सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे. मुस्लिम समुदाय और लद्दाख के बौद्ध समुदाय के प्रतिनिधियों सहित विविध पृष्ठभूमि के बुद्धिजीवियों ने इस अवसर की शोभा बढ़ाई. अंग्रेजी संस्करण का अनुवाद डॉ शैलेश लाचू हीरानंदानी द्वारा किया जाएगा, पुस्तक का विभिन्न अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया जाएगा.
कार्यक्रम के दौरान, इंद्रेश कुमार ने कहा कि बेजुबानों की भाषा को समझना भगवान को समझने के समान है - वह उन लोगों में है, जो अनकही बातों को सुनते हैं. कुमार ने देश भर के लोगों द्वारा प्रदर्शित एकता पर जोर देते हुए पुष्टि की कि हम एक थे, एक हैं और एक रहेंगे. उन्होंने प्रस्ताव दिया कि भविष्य में सभी विवादों का समाधान बातचीत के माध्यम से निकाला जा सकता है. उन्होंने सभी धर्मों से एक साथ आने और इस संभावना पर विचार करने का आग्रह किया.
पुस्तक के विमोचन के बाद, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने टिप्पणी की कि मनुष्य, स्वाभाविक रूप से महत्वाकांक्षी होने के कारण, अपनी इच्छाओं की पूर्ति में अनैतिक हो जाता है. उन्होंने मर्यादा पुरूषोत्तम राम जैसे आदर्श व्यक्ति की आवश्यकता पर जोर दिया, जो इन महत्वाकांक्षाओं को सीमित करने और दिशा देने के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है. खान के मुताबिक, अनियंत्रित और बेलगाम महत्वाकांक्षाओं को रोकने के लिए ऐसा आंकड़ा जरूरी है.
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने इस पुस्तक की आवश्यकता पर बल देते हुए इसके महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि पर पहले की किताबें समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देती थीं और मुसलमानों के खिलाफ साजिश का भ्रम पैदा करती थीं. कुमार ने इस नई पुस्तक के महत्व पर जोर देते हुए स्पष्ट किया कि यह ऐसी धारणाओं और सवालों को दूर करती है कि क्या राम जन्मभूमि आंदोलन पूरी तरह से मुसलमानों के खिलाफ था. पुस्तक का उद्देश्य ऐतिहासिक संदर्भ पर अधिक सटीक और समावेशी परिप्रेक्ष्य प्रदान करना है.
दो दशकों के अटूट शोध की परिणति, पंचम धाम के दूरदर्शी संस्थापक डॉ. हीरानंदानी ने सनातन धर्म के सार की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस पुस्तक को मूर्त रूप देने में उनके महत्वपूर्ण योगदान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
भगवान राम का प्रभाव पूरे एशियाई महाद्वीपों तक फैला हुआ है. इंडोनेशिया, मलेशिया और कंबोडिया के क्षेत्र रामायण महाकाव्य से जटिल रूप से जुड़े हुए हैं. भारत के एकीकरणकर्ता और एक अनुकरणीय सम्राट श्री राम ने अपने 14 वर्षों के वनवास के दौरान विभिन्न जातियों और संप्रदायों के बीच एकता का प्रदर्शन किया. भारत से परे, राम की विरासत नेपाल, लाओस, कंपूचिया, मलेशिया, कंबोडिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, बाली, जावा, सुमात्रा और थाईलैंड सहित देशों की लोककथाओं और ग्रंथों में कायम है.
लेखिका प्रो. गीता सिंह ने साझा किया कि पुस्तक में कई अनकही कहानियां हैं और इसका उद्देश्य मिथकों को दूर करना है. यह मुस्लिम समाज के भीतर राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देने में संघ के ईमानदार प्रयासों पर प्रकाश डालता है. प्रो. सिंह का मानना है कि यह पुस्तक लोगों को ज्ञान देने और उनकी समझ बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगी. सह-लेखक आरिफ खान भारती ने मर्यादा पुरूषोत्तम राम द्वारा समर्थित वसुधैव कुटुंबकम पर आधारित देश की मूलभूत भावना पर प्रकाश डालते हुए अपने विचार व्यक्त किये.
किताबवाले प्रकाशन समूह द्वारा जारी, यह पुस्तक मुस्लिम समुदाय और व्यापक सामाजिक ताने-बाने के बीच एकता को बढ़ावा देने के लिए आरएसएस और उसके सहयोगियों द्वारा 30 वर्षों के अथक प्रयासों पर गहराई से प्रकाश डालती है. ज्ञानवर्धक अंतर्दृष्टि प्रदान करने, गलतफहमियों को दूर करने और सहयोग और साझा मूल्यों की अनकही कहानियों को उजागर करने वाली यह पुस्तक इन समर्पित प्रयासों की व्यापक खोज प्रदान करती है.
ये भी पढ़ें : है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़
ये भी पढ़ें : हिन्दी कवियों को भी है पैग़म्बरों पर नाज़