खून देकर निभा रहे इंसानियत का रिश्ता

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 14-06-2021
खून देकर देकर निभा रहे इंसानियत का रिश्ता
खून देकर देकर निभा रहे इंसानियत का रिश्ता

 

मुकुंद मिश्र / लखनऊ

कहते हैं कि सबसे बड़ा और अहम रिश्ता खून का होता है... यह बात भी परिवार को लेकर कही गई है. लेकिन, लखनऊ में कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने खून देकर न जाने कितनों से अपनों जैसा रिश्ता बना लिया है.
 
ऐसे ही लोगों में कमाल बेग भी हैं, जिन्हांेने कुनबाई रिश्तों से दूर अनजान लोगों के लिए खून का रिश्ता निभाते आ रहे हैं. जरूरतमंदों के एक फोन कॉल पर वे उनकी मदद के लिए पहुंच जाते हैं. बहराइच के एक बच्चे को खून देने के साथ छह साल पहले शुरू हुआ यह सिलसिला बदस्तूर जारी है.
 
हुसैनगंज में रहने वाले कमाल बेग की इंसानियत की बानगी भी कमाल की है. वह बताते हैं कि छह साल पहले बहराइच में रहने वाले एक शख्स के बेटे को खून की जरूरत थी. उनके साथी ने उन्हें खून देने के लिए कहा तो वे तैयार हो गए.
 
कमाल कहते हैं कि लखनऊ के एक अस्पताल में इलाज करा रहे इस बच्चे के लिए ब्लड डोनेट करने के बाद दिल को अजीब सा सुकून मिला. इसके बाद जब उन्हें यह मालूम हुआ कि इस बच्चे को अक्सर खून की जरूरत होती है तो कमाल ने उसके पिता को बेझिझक फोन कर बुलाने को कहा. 
 
कमाल बताते हैं कि तब से वह इस बच्चे के लिए ब्लड डोनेट करते आ रहे हैं. विज्ञापन एजेंसी चलाने वाले कमाल बेग बताते हैं कि उन्होंने कभी नाम और शोहरत के लिए यह सब नहीं किया और न ही कभी ब्लड डोनेट करते हुए कोई तस्वीर खिंचवाई. बस, ऊपर वाले का हुक्म मानकर इंसानियत का फर्ज वे अदा करते आ रहे हैं.
 
कमाल बताते हैं कि उनके पास और लोगों के भी फोन आते हैं ब्लड की जरूरत को लेकर. अगर वे उस बच्चे को ब्लड देने के बाद यदि डॉक्टर इजाजत देते हैं तो वह इसके लिए बेझिझक तैयार रहते हैं. वे बताते हैं कि ऐसा करने में वे असमर्थ महसूस करते हैं तो किसी और परिचित को जरूरतमंद के लिए ब्लड डोनेट करने के लिए भेज देते हैं. कमाल कहते हैं कि उन्होंने इस नेक में कभी भी मजहब के चश्मे से नहीं देखा. उनके लिए हर इंसान एक है और उसकी जिंदगी बचाना ऊपरवाले की इबादत के समान है.  
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इंसानियत का पैगाम बुलंद  करती कुदरत उल्ला की टीम 


 
किसी की जान बचाना सबसे बड़ा इंसानी फर्ज है और इंसानियत के इस मिशन को आगे बढ़ाने का काम कर रही है लखनऊ में रहने वाले कुदरत भाई और उनकी टीम. जरूरतमंदों की तकलीफों को महसूस कर उनके लिए खून तक देने की कुदरत और उनके साथियों के बीच जागी नेक इच्छा से शुरू हुआ यह कारवां लखनऊ के शहरी क्षेत्र से निकल उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों व गांवों तक पहुंच चुका है.
 
कुदरत उल्ला खान का कहना है कि चार साल पहले उन्होंने सोसाइटी की नींव रखी. इससे पहले वे जरूरतमंदों को ब्लड डोनेट करते थे. इंसानी जान बचाने के उनके इस नेक काम को देख उनके साथ दोस्तों की एक टोली जुट गई. यह टोली किसी भी समय किसी भी शख्स के लिए ब्लड डोनेट करने को तैयार रहती है. इसके बाद कुदरत उल्ला खान के ब्लड डोनर्स ग्रुप्स में नौ हजार से अधिक रक्तदाता शामिल हैं.
 
 लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर सहित प्रदेश के सभी जिलों में इंसानियत का पैगाम वह और उनके साथी बुलंद करते आ रहे हैं. वे बताते हैं कि कोरोना काल में जरूरतमंदों को हर संभव मदद पहुंचाई और हर नेक काम उनकी टीम बढ़-चढ़कर आगे रहती है.
 
वे बताते हैं कि कोरोना काल में ब्लड बैंकों में खून का स्टॉक कम होने की जानकारी मिलने पर 21 जून को वे एक ब्लड डोनेशन कैंप लगाने जा रहे हैं. इसमें जुटाए गए ब्लड को जरूरतमंदों के लिए ब्लड बैंकों को मुहैया कराया जाएगा.