ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में हर तबके के चेहरे दिखाई देते हैं. चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो. इस फोटो फीचर में आप देखेंगे अजमेर दरगाह शरीफ की दुर्लभ तस्वीरें.
इतिहासकारों की माने तो सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने करीब 1465 में अजमेर शरीफ की दरगाह का निर्माण करवाया था. वहीं बाद में मुगल सम्राट हुंमायूं, अकबर, शाहजहां और जहांगीर ने इस दरगाह का जमकर विकास करवाया. इसके साथ ही यहां कई संरचनाओं एवं मस्जिद का निर्माण भी किया गया.
इस दरगाह में प्रवेश के लिए चारों तरफ से बेहद भव्य एवं आर्कषक दरवाजे बनाए गए हैं जिसमें निजाम गेट, जन्नती दरवाजा, नक्कारखाना (शाहजहानी गेट), बुलंद दरवाजा शामिल हैं.
इसके अलावा यहां शफाखाना, अकबरी मस्जिद भी हैं, इस मस्जिद में वर्तमान में मुस्लिम समुदाय के बच्चों को इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ कुरान की शिक्षा भी दी जाती है.
इसके अलावा ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के अंदर बेहद सुंदर शाहजहानी मस्जिद भी बनी हुई है. यह मस्जिद मुगलकालीन वास्तुकला की एक नायाब नमूना मानी जाती है.
इस आर्कषक मस्जिद की इमारत में अल्लाह के करीब 99 पवित्र नामों के 33 खूबसूरत छंद लिखे गए हैं.
अजमेर में उर्स त्योहार ऐसा माना जाता है कि जब सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती 114 वर्ष के थे, तो उन्होंने प्रार्थना करने के लिए छह दिनों तक खुद को बंद रखा और इसके बाद उन्होंने अपने नश्वर शरीर को यहीं त्याग दिया था.
इसलिए, हर साल 'उर्स' एक खूबसूरत उत्सव इस्लामी चंद्र कैलेंडर के सातवें महीने में दरगाह में छह दिनों के लिए आयोजित किया जाता है. दरगाह का मुख्य द्वार जो रात में बंद रहता है उसे इस उत्सव के दौरान 6 दिनों के लिए दिन और रात में खुला रखा जाता है.
यहां अक्सर बॉलीवुड स्टार्स अपनी फिल्मों की सफलता के लिए दुआ मांगने आते रहे हैं. दरगाह से सभी धर्मों के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है.
इसे सर्वधर्म सद्भाव की अदभुत मिसाल भी माना जाता है. ख्वाजा साहब की दरगाह में हर मजहब के लोग अपना मत्था टेकने आते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी ख्वाजा के दर पर आता है कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता है, यहां आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होती है.
इस आर्कषक मस्जिद की इमारत में अल्लाह के करीब 99 पवित्र नामों के 33 खूबसूरत छंद लिखे गए हैं.
इसके अलावा यहां शफाखाना, अकबरी मस्जिद भी हैं, इस मस्जिद में वर्तमान में मुस्लिम समुदाय के बच्चों को इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ कुरान की शिक्षा भी दी जाती है.
इतिहासकारों की माने तो सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने करीब 1465 में अजमेर शरीफ की दरगाह का निर्माण करवाया था. वहीं बाद में मुगल सम्राट हुंमायूं, अकबर, शाहजहां और जहांगीर ने इस दरगाह का जमकर विकास करवाया.
ये सभी तस्वीरें व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए नहीं हैं.