आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे मुंबई और आसपास के महानगरीय क्षेत्र सहित राज्य के कई शहरों में होने वाले नगर निकाय चुनावों से पहले अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे की शिवसेना (उबाठा) के साथ संभावित गठबंधन की शर्तें तय करते नजर आ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों ने रविवार को यह बात कही.
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) साल 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के कारण पार्टी (अविभाजित शिवसेना) के दो हिस्सों में बंटने के बाद अस्तित्व में आई थी। पिछले साल नवंबर में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में पार्टी ने बेहद निराशाजनक प्रदर्शन करते हुए महज 20 सीटों पर दर्ज की थी.
राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि कई पूर्व पार्षदों और नेताओं ने उद्धव के नेतृत्व वाली पार्टी का दामन छोड़ दिया है, जिसके कारण उन्हें मराठी वोटों को एकजुट करने के लिए राज ठाकरे का समर्थन लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
उद्धव और राज ने हाल-फिलहाल में न सिर्फ मंच साझा किया है, बल्कि उनके बीच कई मुलाकातें भी हुई हैं, जिससे शिवसेना (उबाठा) और मनसे के बीच गठबंधन की अटकलों को बल मिला है.
स्कूलों के लिए त्रिभाषा नीति का उद्धव और राज दोनों ने ही विरोध किया था। उन्होंने दावा किया कि इस नीति में हिंदी को मराठी भाषा पर प्राथमिकता दी गई है.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नीत सरकार के त्रिभाषा नीति से जुड़ा सरकारी आदेश (जीआर) वापस लेने के बाद उद्धव और राज ने पांच जुलाई को वर्ली में एक संयुक्त विजय रैली में लगभग दो दशक बाद मंच साझा किया था.