नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी ने सोमवार को आगामी राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. गांधी विपक्ष की संयुक्त राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की सूची में थे, जिसमें फारूक अब्दुल्ला और शरद पवार भी थे. अब तीनों ने इस ऑफर को ठुकरा दिया है.
पूर्व राजदूत गांधी ने एक बयान में कहा कि जब वह सर्वोच्च पद के लिए विचार किए जाने की सराहना कर रहे थे, तो उनका मानना था कि विपक्ष को एक ऐसे उम्मीदवार का चयन करना चाहिए, जो राष्ट्रीय सहमति को बढ़ावा दे और ऐसे अन्य लोग भी हैं, जो उनसे बेहतर इसे पूरा कर सकते हैं.
राष्ट्रपति के चुनाव के करीब आते ही विपक्ष के मंगलवार को इस पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा होने की संभावना है.
गोपालकृष्ण गांधी ने कहा कि प्रस्ताव को ध्यान से देखने के बाद, उन्होंने विपक्ष से एक ऐसे उम्मीदवार का चुनाव करने का अनुरोध किया, जो इन पार्टियों के बीच एकता लाएगा.
उन्होंने लिखा, ‘‘भारत को ऐसा राष्ट्रपति मिले, जिसकी अध्यक्षता राजाजी ने अंतिम गवर्नर-जनरल के रूप में की थी और जिसकी शुरुआत डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने हमारे पहले राष्ट्रपति के रूप में की थी.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि और भी होंगे, जो मुझसे कहीं बेहतर करेंगे. और इसलिए मैंने नेताओं से ऐसे व्यक्ति को मौका देने का अनुरोध किया है.’’