माजुली में 'रासोत्सव' की तैयारियाँ, जुबिन गर्ग की विरासत को समर्पित होगा त्योहार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 04-11-2025
Preparations underway for 'Rasotsav' in Majuli, a festival dedicated to the legacy of Zubin Garg
Preparations underway for 'Rasotsav' in Majuli, a festival dedicated to the legacy of Zubin Garg

 

माजुली (असम)

माजुली के नदी द्वीप पर इस साल के प्रमुख आध्यात्मिक शरद उत्सव ‘रासोत्सव’ की तैयारियाँ जोरों पर हैं। यह उत्सव भगवान कृष्ण की रासलीला का उत्सव है। इस साल का रासोत्सव विशेष भावनात्मक महत्व रखता है क्योंकि हर स्टेज पर होने वाले प्रदर्शन मशहूर संगीतकार जुबिन गर्ग को समर्पित होंगे, जिनका 19 सितंबर को सिंगापुर में कथित डूबने की घटना के कारण निधन हो गया था। उनका जाना असम की सांस्कृतिक दुनिया में गहरा खालीपन छोड़ गया।

इस बार 67 से अधिक स्टेज और सतरा संस्थान इस उत्सव में भाग ले रहे हैं। हर स्टेज ने रासलीला की अलग-अलग प्रस्तुति तैयार की है। वहीं, द्वीप के शिल्पकार और कारीगर परंपरागत मुखौटे और भव्य मंच सजावट को पूरा करने में दिन-रात जुटे हैं। देश-विदेश से पर्यटक पहले ही माजुली आने लगे हैं, जो द्वीप की आध्यात्मिक विरासत और कलात्मक परंपराओं को देखने के लिए उत्साहित हैं।

माजुली के डिप्टी कमिश्नर रतुल चंद्र पाठक ने एएनआई से कहा, “लोगों की इस साल काफी रुचि दिख रही है। रासोत्सव को जुबिन गर्ग की स्मृति में समर्पित किया जाएगा। रास अब केवल वार्षिक उत्सव नहीं रहेगा, बल्कि माजुली में पूरे साल पर्यटकों को आकर्षित करने का माध्यम बनेगा। इसके लिए कई पहल की जाएंगी ताकि द्वीप का सतत विकास सुनिश्चित हो। इस साल रासोत्सव को जुबिन गर्ग के साथ-साथ हमारे प्रिय भूपेन हज़ारिका को भी समर्पित किया जाएगा।”

मास्क कलाकार अनुपम गोस्वामी ने बताया कि सभी कलाकार रास महोत्सव के लिए बड़े उत्साह के साथ काम कर रहे हैं। विभिन्न स्थानों से बड़े आकार के पंखियों, अघासुर और अन्य पारंपरिक मास्क बनाने के ऑर्डर मिले हैं।

देश-विदेश से आए पर्यटक माजुली की आध्यात्मिकता और कलात्मकता से प्रभावित हैं। पोलैंड के पर्यटक मिशेल ने कहा, “यह मेरा माजुली का पहला दिन है और पहली बार असम आया हूँ। यहाँ के मठ, नदी और कृष्ण भक्ति बेहद आकर्षक हैं।”

जुबिन गर्ग की स्मृति में माजुली के सभी रास स्टेज पर उनके सम्मान में प्रदर्शन होंगे। युवा समन्वय कृति संघ ने घोषणा की है कि रासलीला तीन दिन के लिए जनता के लिए मुफ्त होगी।

इस प्रकार, इस साल का रासोत्सव श्रद्धा और भव्यता के साथ जुबिन गर्ग की याद में मनाया जाएगा, जिससे श्रीकृष्ण की रासलीला की आध्यात्मिक परंपरा और असम की सांस्कृतिक विरासत दोनों जीवित रहें।