आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
केरल के लिए साल 2025 एक चुनौतीपूर्ण और भावनात्मक दौर साबित हुआ। इस दौरान लोक आस्था को झकझोरने वाली घटनाओं, पर्यावरण से जुड़ी गंभीर चिंताओं, राजनीतिक समीकरणों में बदलाव और कई महत्वपूर्ण कानूनी फैसलों ने लोगों का ध्यान खींचा।
साल के सबसे अहम घटनाक्रमों में तीर्थस्थल शबरिमला से सोना चोरी होने की घटना है।
केरल उच्च न्यायालय के समक्ष ऐसे साक्ष्य आए, जिनसे संकेत मिला कि शबरिमला मंदिर में स्थित पवित्र द्वारपालक (द्वारपाल) मूर्तियों से सोने के आवरण का एक हिस्सा हटाया गया। इस खुलासे से देश-विदेश में करोड़ों अयप्पा भक्तों में आक्रोश और चिंता फैल गई तथा मंदिर की सुरक्षा व प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए।
अदालती रिकॉर्ड के अनुसार, 1990 के दशक के उत्तरार्ध में एक कारोबारी समूह द्वारा दान किए गए 30 किलोग्राम से अधिक सोने का उपयोग मूर्तियों और मंदिर के कुछ हिस्सों को मढ़ने में किया गया था। वर्ष 2019 में दो द्वारपालकों की मूर्तियों पर मढ़े गए सोने की परत को मरम्मत के लिए हटाया गया और बाद में बिना वजन किए पुन: स्थापित कर दिया गया।
अदालत द्वारा नियुक्त एक विशेष आयुक्त ने बाद में सोने के गबन रिपोर्ट दी। इसके आधार पर उच्च न्यायालय ने विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने का आदेश दिया।
जांच के सिलसिले में एक पूर्व सहायक पुजारी और त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) के दो पूर्व अध्यक्षों सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। अदालत ने कहा कि लगभग 4.54 किलोग्राम सोना गायब हुआ है और इस मामले को ‘पवित्र संपत्ति की असाधारण चोरी’ करार देते हुए कड़ी निगरानी में रखा।
कानूनी मोर्चे पर भी वर्ष निर्णायक रहा। 2017 के चर्चित अभिनेत्री यौन उत्पीड़न मामले में एक स्थानीय अदालत ने फैसला सुनाते हुए अभिनेता दिलीप और तीन अन्य आरोपियों को बरी कर दिया, जबकि मुख्य आरोपी सहित छह लोगों को दोषी ठहराकर 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
राजनीतिक परिदृश्य में भी बड़े बदलाव देखने को मिले। साल के अंत में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) को बड़ा मनोबल मिला। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम जीतकर इतिहास रच दिया और राज्य की राजधानी में चार दशक से अधिक समय से चले आ रहे वामपंथी नियंत्रण को समाप्त कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे केरल की राजनीति में एक “महत्वपूर्ण मोड़” बताया।
यूडीएफ नगर निगमों, नगरपालिकाओं और पंचायतों में सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा, जिससे 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले उसकी स्थिति मजबूत हुई।
यह वर्ष वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) के लिए राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण रहा। जून में यूडीएफ ने नीलांबुर विधानसभा सीट एलडीएफ से छीन ली थी। बाद में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने स्थानीय निकाय चुनावों में कमजोर प्रदर्शन को स्वीकार करते हुए कहा कि चुनाव से पहले की गई कल्याणकारी घोषणाओं का अपेक्षित असर नहीं हुआ और उन्होंने गठबंधन के भीतर आत्ममंथन का वादा किया।
शिक्षा नीति को लेकर भी मतभेद उभरे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने अपने प्रमुख सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के कड़े विरोध के बाद केंद्र सरकार की पीएम श्री स्कूल योजना को रोक दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कैबिनेट की एक उपसमिति योजना की समीक्षा करेगी, जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर