PM Modi stresses taking pride in heritage says "Reconstruction of cultural symbols necessary"
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वाराणसी में नवनिर्मित स्वर्वेद महामंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग लेते हुए कहा कि भारत के लिए समय का पहिया घूम गया है और एक तरह से इस बात पर जोर दिया कि अब गुलामी की मानसिकता से दूर जाने का समय आ गया है.
साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयों को अपनी विरासत पर गर्व करना चाहिए.
पीएम मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, ''सोमनाथ से शुरू हुआ काम अब एक अभियान बन गया है.''
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत के पुराने सांस्कृतिक प्रतीकों का पुनर्निर्माण आवश्यक था.
उन्होंने कहा, "गुलामी के कालखंड में भारत को कमजोर करने की कोशिश करने वाले तानाशाहों ने सबसे पहले हमारे प्रतीकों को निशाना बनाया. आजादी के बाद इन सांस्कृतिक प्रतीकों का पुनर्निर्माण जरूरी था."
उन्होंने कहा, आज काशी में विश्वनाथ धाम की भव्यता भारत की अविनाशी महिमा की गाथा गा रही है, महाकाल महलोक हमारी अमरता का प्रमाण दे रहा है, केदारनाथ धाम भी विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है.
"अगर हमने अपनी सांस्कृतिक पहचान का सम्मान किया होता तो देश के भीतर एकता और स्वाभिमान की भावना मजबूत होती.
लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ. आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का भी विरोध हुआ और इस सोच का विरोध हुआ." दशकों तक देश पर हावी रहा,'' उन्होंने जोर देकर कहा.
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह वह शहर है जिसने भारत की कला को गढ़ा और इसे अकल्पनीय ऊंचाइयों पर ले गया.
उन्होंने कहा, "यहां से ज्ञान और शोध के नए रास्ते खुले. उद्यमों और उद्योगों से जुड़ी असीमित संभावनाओं का जन्म हुआ.
आस्था के साथ-साथ योग जैसी विद्याएं भी फली-फूलीं और यहीं से पूरे विश्व के लिए मानवीय मूल्यों की अविरल धारा भी प्रवाहित हुई."
"अब बनारस का मतलब है विकास, अब बनारस का मतलब है आस्था के साथ आधुनिक सुविधाएं, अब बनारस का मतलब है स्वच्छता और बदलाव, बनारस आज विकास की अनूठी राह पर आगे बढ़ रहा है."
इस बीच, बाद में दिन में, वाराणसी में अपने दूसरे दिन, पीएम मोदी अपने निर्वाचन क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र सेवापुरी में विकसित भारत संकल्प यात्रा में भाग लेंगे.
वह काशी संसद खेल प्रतियोगिता 2023 के प्रतिभागियों द्वारा कुछ लाइव खेल कार्यक्रम भी देखेंगे. उसके बाद, वह कार्यक्रम के विजेताओं के साथ बातचीत भी करेंगे.
कार्यक्रम के दौरान वह विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से भी बातचीत करेंगे.
पिछले नौ वर्षों में, प्रधान मंत्री ने वाराणसी के परिदृश्य को बदलने और वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए जीवनयापन को आसान बनाने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है.
इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री करीब 20 करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे.
प्रधानमंत्री करीब 30 करोड़ रुपये की लागत से बने न्यू पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर-न्यू भाऊपुर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट का उद्घाटन करेंगे.
जिन अन्य रेलवे परियोजनाओं का उद्घाटन किया जाएगा उनमें बलिया-गाजीपुर सिटी रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना शामिल है.
प्रधानमंत्री नए उद्घाटन किए गए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर वाराणसी-नई दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन, दोहरीघाट-मऊ मेमू ट्रेन और लॉन्ग हॉल मालगाड़ियों की एक जोड़ी को हरी झंडी दिखाएंगे.
वह बनारस लोकोमोटिव वर्क्स द्वारा निर्मित 10,000वें लोकोमोटिव को भी हरी झंडी दिखाएंगे. अन्य बातों के अलावा, प्रधान मंत्री 370 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से दो आरओबी के साथ-साथ ग्रीन-फील्ड शिवपुर-फुलवरिया-लहरतारा सड़क का उद्घाटन करेंगे.
इससे वाराणसी शहर के उत्तर और दक्षिण भागों के बीच यातायात सुगम हो जाएगा और आगंतुकों की सुविधा बढ़ जाएगी.
प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन की जाने वाली अन्य प्रमुख परियोजनाओं में 20 सड़कों का सुदृढ़ीकरण और चौड़ीकरण शामिल है; कैथी गांव में संगम घाट रोड और पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में आवासीय भवनों का निर्माण.
इसके अतिरिक्त, पुलिस कर्मियों की आवास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, पुलिस लाइन और पीएसी भुल्लनपुर में 200 और 150 बिस्तरों वाले दो बहुमंजिला बैरक भवन, 9 स्थानों पर बने स्मार्ट बस शेल्टर और अलाईपुर में बने 132 किलोवाट के सबस्टेशन का भी उद्घाटन किया जाएगा.