संसद ने दी भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 को मंजूरी, बंदरगाहों के विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 18-08-2025
Parliament approves the Indian Ports Bill, 2025, important provisions for the development of ports
Parliament approves the Indian Ports Bill, 2025, important provisions for the development of ports

 

नयी दिल्ली
 
संसद ने सोमवार को बंदरगाह क्षेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण प्रावधानों वाले भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी तथा केंद्रीय पत्तन परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि भारत को विकसित देश बनाने के लक्ष्य को पाने में बंदरगाह क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने में इस प्रस्तावित कानून की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
 
राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा और मंत्री सोनोवाल के जवाब के बाद इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य उच्च सदन में मौजूद नहीं थे। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।
 
विधेयक के पारित होने के बाद सदन की बैठक अपराह्न चार बजकर 15 मिनट पर दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी।
 
इस विधेयक पर चर्चा शुरू होने के समय ही कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण मुद्दे पर चर्चा कराने की अनुमति नहीं मिलने के विरोध में सदन से वाकऑउट किया था।
 
यह विधेयक बजट सत्र के दौरान 28 मार्च को पेश किया गया था जिसमें बंदरगाहों से संबंधित कानून को समेकित करने, एकीकृत बंदरगाह विकास को बढ़ावा देने, व्यापार को आसान बनाने और भारत की तटरेखा का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने संबंधी प्रावधान हैं।
 
इस विधेयक को 1908 के अधिनियम की जगह लेने के लिए लाया गया है और इसके तहत एक समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) स्थापित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को फरवरी में मंजूरी प्रदान की थी।
 
सोनोवाल ने विधेयक पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि भारतीय पत्तन विधेयक, 2025 भारत के समुद्री क्षेत्र को पुन: स्थापित करने का एक प्रयास है। उन्होंने इसे देश की अर्थव्यवस्था के विकास में अहम बताया। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछले 11 साल में 11 कानून बनाए हैं ताकि समुद्री क्षेत्र से जुडे़ कानूनों में व्यापक सुधार लाया जाए।
 
उन्होंने कहा कि इस कानूनों को अंतिम रूप देने से पहले सभी संबंधित पक्षों से व्यापक विचार विमर्श किया गया।
 
सोनोवाल ने विधेयक के बारे में कहा, ‘‘प्रस्तावित कानून अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का प्रभावी ढंग से निर्वहन सुनिश्चित करेगा, जिससे हमारी घरेलू प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए अधीनस्थ कानून बनाने के लिए पर्याप्त शक्ति मिलती है।’’
 
इसका उद्देश्य बंदरगाहों के विकास को एकीकृत करना है ताकि भारत के समुद्री तटों का बेहतर उपयोग किया जा सके।
 
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि यह किसी प्रमुख बंदरगाह या इसके अलावा किसी अन्य बंदरगाह को अधिसूचना द्वारा ‘‘मेगा पोर्ट’’ के रूप में वर्गीकृत करने का प्रावधान करता है।
 
विधेयक एक नये न्यायिक तंत्र के निर्माण का प्रावधान करता है जिसके लिए प्रत्येक राज्य सरकार को राज्य के भीतर प्रमुख बंदरगाहों, बंदरगाह उपयोगकर्ताओं और बंदरगाह सेवा प्रदाताओं के अलावा अन्य बंदरगाहों के बीच उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद के निपटारे के लिए एक विवाद समाधान समिति का गठन करने की आवश्यकता होगी।
 
इसमें बंदरगाहों की सुरक्षा और संरक्षण से संबंधित शक्तियों को बढ़ाने का भी प्रस्ताव है।