पाकिस्तानी हिंदू जासूसी के आरोप में दिल्ली से गिरफ्तार

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 22-08-2022
पाकिस्तानी हिंदू जासूसी के आरोप में दिल्ली से गिरफ्तार
पाकिस्तानी हिंदू जासूसी के आरोप में दिल्ली से गिरफ्तार

 

जयपुर. राजस्थान पुलिस ने जासूसी के आरोप में एक पाकिस्तानी हिंदू को दिल्ली से गिरफ्तार किया है. जासूस 22साल की उम्र में पाकिस्तान से भारत आया था और छह साल पहले उसे भारतीय नागरिकता दी गई थी. 46वर्षीय आरोपी भागचंद दिल्ली के भाटी माइंस स्थित संजय कॉलोनी में रह रहा था. उसकी गिरफ्तारी एक अन्य आरोपी नारायण लाल गदरी से पूछताछ के बाद हुई, जो इसी तरह के आरोप में भीलवाड़ा में पकड़ा गया था.

भागचंद पिछले तीन-चार साल से पाकिस्तानी हैंडलर अधिकारी के संपर्क में था और उन्हें सोशल मीडिया हैंडल चलाने के लिए भारतीय मोबाइल नंबर और सिम कार्ड मुहैया करा रहा था. उसे पेटीएम के जरिए जासूसी के एवज में पैसे मिलते थे. डीजीपी इंटेलिजेंस उमेश मिश्रा ने कहा कि राजस्थान इंटेलिजेंस की टीम पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी द्वारा राजस्थान में की जा रही जासूसी गतिविधियों पर लगातार नजर रखती है.

14अगस्त को भीलवाड़ा निवासी 27वार्षीय नारायण लाल गदरी को निगरानी के दौरान जासूसी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर गिरफ्तार किया गया था. गदरी विभिन्न मोबाइल कंपनियों के सिम कार्ड जारी करेगा और सोशल मीडिया खातों के संचालन के लिए पाक संचालन अधिकारियों को उपरोक्त नंबर प्रदान करेगा.

नारायण लाल फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. डीजी मिश्रा ने कहा कि पूछताछ करने पर उसने बातें उगल दीं और दिल्ली निवासी भागचंद के बारे में जानकारी दी, जिसे उसने बताया कि वह भी जासूसी के काम में लिप्त था और पाक अधिकारी के संपर्क में था. भागचंद ने नारायण के लिए सिम कार्ड दिल्ली के कश्मीरी गेट बस स्टैंड स्थित खान मार्केट के ट्रेवल्स कार्यालय से खरीदे थे.

भागचंद ने पाकिस्तानी हैंडलिंग अधिकारी से प्राप्त धन के साथ भाटी माइंस बाजार से एक सेकेंडहैंड कीपैड फोन खरीदा, नारायण द्वारा भेजे गए ओटीपी को साझा करके और सिम कार्ड डालकर पाकिस्तान में भारतीय मोबाइल नंबरों से सोशल मीडिया खातों को संचालित करने के लिए उसने व्हाट्सएप और सिग्नल एप डाउनलोड किया था.

भागचंद का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. साल 1998 में 22 साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ वीजा पर दिल्ली आ गया था. 2016 में उसे भारत की नागरिकता मिली और दिल्ली में ही टैक्सी ड्राइवर का काम करने लगे. भागचंद के अन्य रिश्तेदार पाकिस्तान में रहते हैं और उन्हीं के जरिए वह तीन-चार साल से पाक संचालन अधिकारी के संपर्क में था. दो-तीन साल पहले भागचंद ने पाक संचालन अधिकारी के अनुरोध पर अपने नाम से सिम कार्ड खरीदकर भारतीय नंबर मुहैया कराया था और लगातार उसके संपर्क में था. उसे जासूसी के लिए पेटीएम के जरिए बैंक खाते में पैसे मिले.