पहलगाम हमला आर्थिक युद्ध का हथकंडा था: विदेश मंत्री एस. जयशंकर

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 01-07-2025
Pahalgam attack was a tactic of economic warfare: Foreign Minister S. Jaishankar
Pahalgam attack was a tactic of economic warfare: Foreign Minister S. Jaishankar

 

न्यूयॉर्क

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि पहलगाम आतंकी हमला एक आर्थिक युद्ध का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य कश्मीर में पर्यटन को बर्बाद करना था। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अब परमाणु ब्लैकमेलिंग के दबाव में आकर पाकिस्तान से आने वाले आतंक का जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा।

जयशंकर न्यूयॉर्क में ‘वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ स्थित न्यूजवीक मुख्यालय में संस्था के सीईओ डेव प्रगाड के साथ संवाद कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “यह हमला केवल आतंकवाद नहीं था, बल्कि आर्थिक युद्ध था। कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी है, और उसे ही निशाना बनाया गया। इसके साथ ही धार्मिक हिंसा भड़काने की साजिश भी थी, क्योंकि हमला करने से पहले लोगों से धर्म पूछा गया।”

जयशंकर ने कहा कि भारत ने यह तय किया कि अब आतंकवादियों को बिना सजा के नहीं छोड़ा जाएगा, चाहे वे सीमा पार क्यों न हों। “अब यह तर्क नहीं चलेगा कि वे सीमा के उस पार हैं, इसलिए जवाब नहीं दिया जा सकता।”

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी गुट गुप्त रूप से काम नहीं करते, बल्कि वहां उनकी कॉर्पोरेट हेडक्वार्टर्स जैसी उपस्थिति है, जिन्हें सब जानते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने इन्हीं ठिकानों को निशाना बनाया।

जयशंकर ने कहा कि भारत अब इन आतंकियों को केवल “प्रॉक्सी” कहकर पाकिस्तानी सरकार को बख्शेगा नहीं, बल्कि जो सरकार उन्हें मदद देती है, उसे भी जवाबदेह ठहराया जाएगा।

उन्होंने स्पष्ट किया, “हम अब परमाणु धमकी से डरकर चुप नहीं बैठेंगे। आतंकियों को अब कोई छूट नहीं मिलेगी, चाहे वो जिस भी रूप में हों। हम अपने नागरिकों की रक्षा के लिए जो करना होगा, वह करेंगे।”

जयशंकर इन दिनों अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं और मंगलवार को वॉशिंगटन डीसी में होने वाली क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित एक प्रदर्शनी ‘द ह्यूमन कॉस्ट ऑफ टेररिज्म’ का उद्घाटन भी किया।

उन्होंने कहा, “आतंकवाद सिर्फ भारत के लिए नहीं, पूरी दुनिया के लिए खतरा है। कोई भी देश इसे नीतिगत साधन के रूप में इस्तेमाल न करे, क्योंकि आखिर में यह सबको नुकसान पहुंचाता है।”

जयशंकर ने कहा कि भारत दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जूझ रहा है, जो 1947 में आजादी के कुछ ही महीनों बाद शुरू हो गया था। “तब इसे जनजातीय हमलावरों और प्रॉक्सी कहकर पेश किया गया, और फिर पाकिस्तानी सेना खुद उतर आई।”

उन्होंने 2001 का संसद हमला और 2008 का मुंबई हमला भी याद किया और कहा कि भारत ने इन हमलों के जरिए आतंक का सबसे वीभत्स चेहरा देखा है।

जब उनसे पूछा गया कि क्या डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हालिया भारत-पाक टकराव में व्यापार के जरिए दखल देने का असर भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर पड़ा है, तो जयशंकर ने जवाब दिया, “नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता। व्यापारिक वार्ताएं अपने ढंग से चल रही हैं और टीमें पूरी पेशेवरता से काम कर रही हैं।”

उन्होंने कहा कि भारत में यह राष्ट्रीय सहमति है कि पाकिस्तान के साथ सारे मसले द्विपक्षीय हैं।

जयशंकर ने एक गंभीर घटनाक्रम साझा करते हुए बताया कि 9 मई की रात अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर कहा कि यदि भारत ने कुछ मांगे नहीं मानीं तो पाकिस्तान बहुत बड़ा हमला कर देगा।

“प्रधानमंत्री इस धमकी से बिल्कुल अप्रभावित थे। उलटे उन्होंने साफ कर दिया कि भारत जवाब जरूर देगा। उसी रात पाकिस्तान ने बड़ा हमला किया और हम तुरंत जवाबी कार्रवाई में उतर आए,” जयशंकर ने कहा।

उन्होंने यह भी बताया कि अगली सुबह अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने उन्हें फोन कर कहा कि पाकिस्तान अब बातचीत के लिए तैयार है।

जयशंकर ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैं सिर्फ वही कह सकता हूं जो मैंने खुद देखा और सुना है, बाकी आप खुद समझ लें।”