मिजोरम के स्कूलों में पढ़ रहे 6,000 से अधिक म्यांमार के बच्चे

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
मिजोरम के स्कूलों में पढ़ रहे 6,000 से अधिक म्यांमार के शरणार्थी बच्चे
मिजोरम के स्कूलों में पढ़ रहे 6,000 से अधिक म्यांमार के शरणार्थी बच्चे

 

आइजोल.

सैन्य तख्तापलट के बाद पिछले साल मार्च से मिजोरम में शरण लिए हुए म्यांमार के शरणार्थियों के 6,000 से अधिक बच्चे राज्य के सरकारी और निजी स्कूलों में नामांकित हैं.

मिजोरम शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि म्यांमार के 6,195 बच्चों में से 5,221 सरकारी स्कूलों में, 184 सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों में और 790 ने राज्य भर में कक्षा 10 तक निजी स्कूलों में दाखिला लिया.

शिक्षा विभाग ने बच्चों के नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (आरटीई अधिनियम-2009) का हवाला देते हुए इससे पहले सभी जिला एवं अनुमंडल शिक्षा अधिकारियों से कहा है कि वंचित समुदायों के 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के लिए उसकी उम्र के अनुकूल कक्षा में स्कूलों में प्रवेश पाने का अधिकार है.

म्यांमार के कुछ सांसदों और माता-पिता ने पहले मिजोरम के शिक्षा मंत्री लालचंदमा राल्ते से म्यांमार के बच्चों की शैक्षणिक और अन्य समस्याओं को देखने का अनुरोध किया और राज्य सरकार ने तब म्यांमार के बाल शरणार्थियों के नामांकन के बारे में अधिसूचना जारी की.

बच्चों को मिजोरम के शैक्षणिक पाठ्यक्रम की पाठ्यपुस्तकों और अन्य सामग्रियों के साथ किसी भी भाषा की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है क्योंकि उनमें से ज्यादातर चिन समुदाय से संबंधित हैं जो मिजोरम के मिजो के समान वंश और संस्कृति साझा करते हैं और मिजो भाषा भी बोलते हैं.

हाल ही में, मिजोरम विश्वविद्यालय और एक गैर-सरकारी संगठन, इंस्टीट्यूट ऑफ चिन अफेयर्स (आईसीए) ने केंद्रीय विश्वविद्यालय में बर्मी भाषा और संचार कौशल में डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया.

आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 11,798 बच्चों और 10,047 महिलाओं सहित लगभग 30,400 म्यांमार शरणार्थियों में से अधिकांश 11 जिलों के 156 शिविरों में मिजोरम में शरण लिए हुए हैं, जबकि उनमें से बड़ी संख्या ने रिश्तेदारों के घरों, समुदाय, केंद्रों, किराए के घरों में शरण ली है.

मिजोरम सरकार ने शरणार्थियों को पहचान के उद्देश्य से अस्थायी पहचान पत्र प्रदान किए हैं ताकि धारक को भारतीय नागरिकों से अलग किया जा सके और आईडी कार्ड सरकार की योजना का लाभ उठाने के लिए और मिजोरम के बाहर मान्य नहीं है.