अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से तीर्थयात्रियों की मौत से विचलित हैं मुस्लिम दुकानदार और सेवादार
एहसान फाजिलि / श्रीनगर
चूंकि 7 जुलाई की शाम अमरनाथ की पवित्र गुफा के पास बादल फटने के बाद आई बाढ़ को लेकर सेना और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां बचाव कार्यों में लगी हुई हैं, स्थानीय मुस्लिम विक्रेता भी यहां हुई जानमाल के नुकसान को लेकर बेहद गमगीन हैं. इस हादसे में करीब 17 तीर्थयात्रियों की जान जली गई थी.
घटना को लेकर एक 14 सेकंड का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें स्थानीय मुस्लिम विक्रेता श्रीनगर स्थित सेना की 15 कोर के जीओसी के साथ बातचीत में बालटाल मे हुई तीर्थयात्रियों की मौत पर दुख व्यक्त करते नजर आ रहे हैं.
उन्होंने दौरे पर आए जीओसी को अपनी भावनाओं से अवगत कराया.उन्होंने कहा, “हम बाढ़ से अपने व्यवसायों को हुए नुकसान से कहीं अधिक यात्रियों के जान गंवाने से दुखी हैं. ”
स्थानीय विक्रेताओं के एक समूह के एक सदस्य ने कहा कि वे पवित्र गुफा मंदिर में दर्शन करने आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए बालटाल क्षेत्र में विभिन्न सुविधाएं प्रदान करते हैं. श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर गांदरबल जिले के सोनमर्ग के पास बालटाल से 14 किलोमीटर की इस सबसे छोटी यात्रा के माध्यम से अधिकांश तीर्थयात्री अमरनाथ गुफा की यात्रा करते हैं.
48 किलोमीटर का पारंपरिक मार्ग दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम से जाता है. पहलगाम से चंदनवारी तक 16 किलोमीटर की मोटर योग्य सड़क है. फिर शेषनाग-महागुणस टॉप-पंजतरणी-पवित्र गुफा के माध्यम से 32 किलोमीटर की पैदल यात्रा है.
35,000 से अधिक स्थानीय मुसलमान यात्रा अवधि में व्यवस्था देखते हैं और विभिन्न सेवाएं और सुविधाएं प्रदान करते हैं. उनमें से अधिकांश अनंतनाग और इसके आस-पास के जिलों कुलगाम और किश्तवाड़ से पहलगाम मार्ग के हैं.
बालटाल मार्ग के लिए गांदरबल जिले के सोनमर्ग और कंगन क्षेत्रों से कई अन्य लोगों को लगाया गया है. स्थानीय मुसलमानों में से लगभग 20,000 मुख्य रूप से पोनीवाले हैं. अन्य में पालकी संचालक, ट्रांसपोर्टर, विक्रेता, दुकानदार, होटल व्यवसायी और तम्बू प्रदाता शामिल हैं.
पहले भी होती रही है घटना
पहली बार नहीं है जब ऊंचाई वाले तीर्थ क्षेत्र में खराब मौसम की वजह से लोगों की मौत हुई है. 1996 में इस क्षेत्र में हुई भारी बारिश में 260 से अधिक यात्रियों की जान चली गई थी. 2018 में बालटाल क्षेत्र में खराब मौसम की स्थिति में एक दर्जन से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी थी.
प्राकृतिक कारणों से कई मौतें वार्षिक यात्रा अवधि के दौरान भी होती हैं. इस साल 30 जून को शुरू हुई यात्रा, भगवान शिव की पवित्र गदा महंत दीपेंद्र गिरि द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार, 12 अगस्त को समाप्त होगी
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उपराज्यपाल की व्यवस्था पर नजर
उपराज्यपाल, मनोज सिन्हा ने यहां आयोजित एक बैठक में पवित्र गुफा मंदिर में चल रहे बचाव और राहत अभियान की समीक्षा की, जिसमें जीओसी 15 कोर, लेफ्टिनेंट जनरल एएस औजला और पुलिस महानिदेशक, दिलबाग सिंह ने भाग लिया.
उन्हें पवित्र गुफा में चल रहे बचाव प्रयासों के बारे में जानकारी दी गई है. जीओसी ने कहा कि बचाव और राहत अभियान में शामिल सभी एजेंसियां बेहतरीन तालमेल के साथ काम कर रही हैं और वे मलबा हटाने के लिए पूरी तरह तैयार है. उपराज्यपाल ने कहा, सेना, सीएपीएफ, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें जमीन पर हैं और सराहनीय काम कर रही हैं.
उन्होंने यात्रियों से शिविरों में रहने का अनुरोध किया. कहा, प्रशासन उनके आरामदेह प्रवास के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है. हम यात्रा जल्द से जल्द बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं. ”
इससे पहले, उपराज्यपाल ने घायल तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करने के लिए अस्पताल का दौरा किया. बाद में पीसीआर श्रीनगर गए थे, जहां उन्हें मृतक तीर्थयात्रियों के पार्थिव शरीर को उनके गृहनगर भेजने की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई.
एसकेआईएमएस के निदेशक, परवेज ए कौल ने एलजी को बताया कि कुल 52 यात्रियों को पीसीआर में भर्ती कराया गया था, जिनमें से 35 को छुट्टी दे दी गई है. वर्तमान में सात बादल फटने से प्रभावित सहित 15 रोगियों को एसकेआईएमएस में भर्ती कराया गया है.
उन्हें सीधे एसकेआईएमएस ले जाया गया था. 17 मरीजों में से एक की मौत हो चुकी है जबकि एक को एसकेआईएमएस मेडिकल कॉलेज बेमिना रेफर कर दिया गया है.