मुस्लिम संस्थाओं ने वडोदरा में शुरू किए दो कोविड केयर सेंटर

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 23-04-2021
मुस्लिम संस्थाओं ने वडोदरा में शुरू किए दो कोविड केयर सेंटर
मुस्लिम संस्थाओं ने वडोदरा में शुरू किए दो कोविड केयर सेंटर

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली - वड़ोदरा

कोरोना महामारी के भयावह संकट ने जहां लोगों की दुश्वारियों को बढ़ाया है, तो लोगों में इंसानियत के जज्बे को भी बुलंद किया है. अब देश में मुकाबला और कोरोना महामारी और इंसानियत के बीच हो रहा है. देश के चारों कौनों से मदद को हाथ बढ़ रहे हैं. अब खबर है कि वड़ोदरा की दो मुस्लिम संस्थाओं ने अपने भवनों में कोविड केयर सेंटर शुरू किए हैं.

मंदिरों और मस्जिदों की प्रबंधन समितियों ने अब कोरोना को हराने की ठानी है. तय है कि इस लड़ाई में जब भगवान और अल्लाह के घर शामिल हो गए हैं, तो तो कोरोना की हार तय है. बस कुछ घड़ी की बात है. पिछली बार की तरह कोविड की सेकेंड वेब में भी भारतवासी जीतेंगे.

धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों की इस मुहिम में अब बड़ोदरा की जहांगीरपुरा मस्जिद और टंडालजा स्थित दारुल उलूम भी जुड़ गए हैं. दोनों संस्थाओं ने अपने सामाजिक दायित्व को निभाते हुए अपने परिसरों में कोविड केयर सेंटर शुरू किए हैं और दोनों केंद्रों पर कोरोनावायरस के संक्रमितों का उपचार भी शुरू हो गया है.

जहांगीरपुरा मस्जिद के इरफान शेख का कहना है कि हर इबादतगाह अल्लाह का घर है. अल्लाह के घर का इस्तेमाल लोगों की खातिर किया जा सकता है. इसलिए मुस्लिम समाज ने मस्जिद में अस्थायी कोविड केयर सेंटर बनाया है.

उन्होंने बताया कि जब इंतजामिया कमेटी के सामने कोविड केयर सेंटर बनाने का प्रस्ताव रखा गया, तो सभी ने एकस्वर में इस प्रस्ताव का समर्थन किया और फिर देखते ही देखते यहां अस्थायी अस्पताल खड़ा हो गया. जिससे जो बन पड़ा, उसने वैसी मदद की.

उन्होंने बताया कि मुस्लिम समाज के उत्साही युवक अस्पताल में हर तरह की मदद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी फिलवक्त यहां 50 बेड की व्यवस्था की गई है. आवश्यकता पड़ने पर यहां की क्षमता बढ़ाने को भी बंदोबस्त किया जाएगा. इसकी पहले से ही योजना बना ली गई है.

इस तरह टंडालजा दारुल उलूम में भी कोविड केयर सेंटर बनाया गया है. इसका संचालन वडोदरा मानव कल्याण फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है. फिलहाल इस केंद्र पर 142 बेड का बंदोबस्त किया गया है. इस केंद्र पर 10 वेंटिलेटर भी हैं और ऑक्सीजन की सुविधा भी है. संचालकों के दिमाग में जरूरत पड़ने पर यहां बेड संख्या बढ़ाने का ब्लू प्रिंट भी है.

दोनों ही केंद्रों पर जाति-धर्म का भेद किए बिना संक्रमितोें का इलाज और तीमारदारी की जा रही है.

मुस्लिम संगठनों का यह योगदान इसलिए और भी ज्यादा सराहनीय है कि यह रमजान का पवित्र महीना चल रहा हैं. अधिकांश मुस्लिम भाई सुबह से शाम तक लगभग 11-12 घंटे का निर्जला उपवास करते हैं और सारा दिन अल्लाह की इबादत में बिताते हैं. ऐसे कठिन धार्मिक अनुष्ठानों से गुजरने के बावजूद अल्लाह उन्हें इतनी ताकत और हौसला अता फरमा रहा है कि वे कोरोना की दुष्कर लड़ाई में कूद पड़े हैं और उन्होंने फतह बुलाने की ठानी है.