आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य कमलेश वार्ष्णेय ने शुक्रवार को कहा कि आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के मूल्यांकन को लेकर कोई नियामकीय कमी नहीं है, लेकिन ‘‘हमें यह देखना होगा कि खुदरा निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए हम और सुरक्षा उपाय कैसे कर सकते हैं।''
उन्होंने कंपनी संचालन से संबंधित शिखर सम्मेलन 'गेटकीपर्स ऑफ गवर्नेंस' के 10वें संस्करण में कहा कि बाजार नियामक का पूंजी निर्गम के नियंत्रण से हटना एक सही कदम है, लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि मूल्यांकन उचित, प्रभावी और कुशलतापूर्वक हो।
वार्ष्णेय ने कहा, ''मैं यह नहीं कह रहा कि इसमें नियामकीय कमी है, लेकिन इस बात पर विचार करना अच्छा होगा कि जो मूल्यांकन किया जा रहा है वह सही है या नहीं। हमने देखा है कि बहुत सारे आईपीओ आ रहे हैं, जहां खुदरा निवेशक मूल्यांकन को चुनौती दे रहे हैं।''
सेबी (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने बृहस्पतिवार को साफ किया था कि पूंजी बाजार नियामक आईपीओ मूल्यांकन में हस्तक्षेप नहीं करेगा। उन्होंने कहा था, ''हम मूल्यांकन तय नहीं करते। यह निवेशकों के ऊपर निर्भर करता है।''
हाल में लेंसकार्ट के 7,200 करोड़ रुपये के आईपीओ की कीमत को लेकर चिंता जताई गई थी। इससे पहले नायका और पेटीएम जैसे आईपीओ पर कई हितधारकों ने मूल्यांकन संबंधी चिंताएं उठाई थीं।