भविष्य की चुनौतियों का सामना केवल आज बनाए गए सहयोग से संभव है: नौसेना प्रमुख

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 13-09-2025
Meeting future challenges is only possible through the cooperation built today: Navy Chief
Meeting future challenges is only possible through the cooperation built today: Navy Chief

 

नई दिल्ली

बढ़ती जटिल और चुनौतीपूर्ण समुद्री परिस्थितियों में, जहां खतरें तेजी से और अक्सर “अदृश्य रूप से” उत्पन्न हो सकते हैं, वास्तविक समय में जानकारी एकत्र करने, विश्लेषण करने और साझा करने की क्षमता ही “निवारक और रक्षा क्षमता” को परिभाषित करेगी, यह बात नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने गुरुग्राम में नौसेना के नवीनतम बेस INS अरावली के कमीशनिंग कार्यक्रम में कही।

नौसेना प्रमुख ने कहा, “भविष्य के खतरों का मुकाबला केवल उसी सहयोग से किया जा सकता है जिसे हम आज बनाते हैं।”

यह नया बेस अरावली पर्वत श्रृंखला के अडिग संरक्षण के नाम पर रखा गया है और यह भारतीय नौसेना के विभिन्न सूचना और संचार केंद्रों का समर्थन करेगा, जो देश और नौसेना के कमांड, नियंत्रण और मारिटाइम डोमेन अवेयरनेस (MDA) ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं।

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “INS अरावली को राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित करते हुए, यह प्राचीन रक्षक समुद्री क्षेत्र पर अपनी दृष्टि बनाए रखते हैं। 1949 में इसकी छोटी शुरुआत के बाद, इस परिसर ने पिछले 15 वर्षों में अद्भुत विकास देखा है।”

उन्होंने बताया कि 2014 में IMAC (इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट एंड एनालिसिस सेंटर) और 2018 में IFC-IOR (इन्फॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर – इंडियन ओशन रीजन) की स्थापना के साथ, यह परिसर अब “राष्ट्र और उसके बाहर सहयोगात्मक समुद्री जानकारी साझा करने का एक आशाजनक केंद्र” बन चुका है।

IFC-IOR का उद्देश्य क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा को मजबूत करना और साझा, सुसंगत समुद्री स्थिति चित्र बनाना है। नौसेना प्रमुख ने कहा कि भविष्य में सूचना ही “समुद्री शक्ति की निर्णायक मुद्रा” बनी रहेगी।

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “जैसे-जैसे भारत विकासशील राष्ट्र की दिशा में बढ़ रहा है, हमारे समुद्री हित व्यापार, ऊर्जा और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में कई गुना बढ़ेंगे। इन बढ़ते हितों की रक्षा के लिए हमारी समुद्री सूचना रणनीति आविष्कार, नवाचार और एकीकरण के त्रिगुणात्मक सिद्धांतों से संचालित होनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि INS अरावली न केवल प्रौद्योगिकी का केंद्र होगा, बल्कि सहयोग का भी प्रतीक बनेगा, जो हमारे प्लेटफॉर्म और समुद्र के पार साझेदारों को जोड़ने का काम करेगा।

एडमिरल ने यह भी कहा कि INS अरावली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के MAHASAGAR (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) दृष्टिकोण का सजीव उदाहरण है और यह भारतीय महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा।

नौसेना प्रमुख ने कहा, “आज हम भारतीय नौसेना के नेटवर्क-केंद्रित और ज्ञान-प्रधान बल के रूप में विकास का एक नया अध्याय अंकित कर रहे हैं।”

INS अरावली का आदर्श वाक्य ‘Samudrika Surakshayaha Sahayogam’ यानी ‘सहयोग के माध्यम से समुद्री सुरक्षा’ है। यह नौसेना इकाइयों, MDA केंद्रों और सहयोगी भागीदारों के साथ सामंजस्यपूर्ण और सहयोगी दृष्टिकोण को दर्शाता है।

एडमिरल त्रिपाठी ने अंत में कहा, “जैसे अरावली पहाड़ सदियों से अडिग खड़े हैं, वैसे ही INS अरावली हमारे समुद्र की सुरक्षा करेगा और हमारे साझेदारियों को मजबूत बनाएगा, ताकि भारतीय नौसेना किसी भी समय, कहीं भी और किसी भी स्थिति में हमारे राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा कर सके।”