मराठा आरक्षण: सरकार से बातचीत विफल, जारंगे का भूख हड़ताल जारी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 31-08-2025
Maratha reservation: Talks with government fail, Jarange's hunger strike campaign continues - enters third day
Maratha reservation: Talks with government fail, Jarange's hunger strike campaign continues - enters third day

 

मुंबई

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर सक्रियिस्ट मनोज जारंगे का भूख हड़ताल का अभियान रविवार को तीसरे दिन प्रवेश कर गया। पिछले दिन, यानी शनिवार को, उन्होंने आज़ाद मैदान में उनसे मिलने आई सरकार की टीम को संक्षिप्त उत्तर देकर बात करने से इनकार कर दिया था।

मुंबई पुलिस ने शनिवार को जारंगे के विरोध प्रदर्शन के लिए अनुमति एक और दिन तक बढ़ा दी। हालांकि आज़ाद मैदान के आसपास ट्रैफिक प्रभावित रहा, क्योंकि विरोध कर रहे लोग इतना भारी नेटवर्क बना चुके थे कि वाहनों की आवाजाही मुश्किल हो गई थी। कुछ प्रदर्शनकारी तो सड़क पर ही नहाते भी दिखाई दिए।

मेराठी नेता जारंगे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनसे मिलने के लिए सेवानिवृत्त हाई कोर्ट न्यायाधीश संदीप शिंदे को भेजना अनुचित था। शिंदे उस समिति के अध्यक्ष हैं जिसे मराठाओं को आरक्षण दिलाने की प्रक्रिया तेज़ करने का टास्क दिया गया है।

जारंगे ने स्पष्ट कहा,“यह न्यायाधीश शिंदे का काम नहीं है कि वे मराठाओं को आरक्षण देने वाला सरकारी प्रस्ताव (GR) जारी करें।”

वहीं, मुख्यमंत्री फडणवीस का कहना है कि सरकार संवैधानिक और वैधानिक ढांचे के भीतर समाधान खोजने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर, एनसीपी (एसपी) अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए संविधान में संशोधन आवश्यक है।

जारंगे ने सितंबर 2023 में बनी उस समिति को लेकर नाराज़गी जाहिर की, कहते हुए कि यह समिति पिछले 13 महीनों से संबंधित गज़ेट पढ़ रही है, लेकिन अब रिपोर्ट जमा कर देनी चाहिए, जिससे मराठाओं को कुनबी जाति का दर्जा मिल सके। इस दर्जा प्राप्त हो जाने पर मराठा OBC आरक्षण के लिए पात्र हो जाएंगे।

न्यायाधीश संदीप शिंदे ने स्पष्ट किया कि वे ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं बना सकते क्योंकि यह Backward Class Commission का कार्य है। वह आगे कहते हैं कि जाति प्रमाण पत्र व्यक्तिगत स्तर पर ही दिए जाते हैं, पूरे समुदाय के लिए नहीं।

जारंगे ने बीएमसी और राज्य सरकार से शिकायत की कि प्रयोग में लाई जा रही सुविधाएं अव्यवस्थित हैं — पानी और टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी हो रही है। उन्होंने BMC आयुक्त और भूषण गगराणी जैसे अधिकारियों पर यह जिम्मेदारी निभाने में विफल रहने का आरोप लगाया।

कबिनेट के उप-समिति से जुड़े मंत्री राधाकृष्ण विके पाटिल ने कहा कि मंडल में उठाए गए मुद्दों पर विस्तार से विचार किया गया और सरकार सकारात्मक दिशा में समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।