आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
वामपंथी दलों ने बृहस्पतिवार को यहां फलस्तीनियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र से इजराइल के साथ सभी रक्षा सौदे समाप्त करने तथा फलस्तीन की स्वतंत्रता का समर्थन करने का आह्वान किया।
जंतर-मंतर पर आयोजित विरोध प्रदर्शन में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी)लिबरेशन, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक (एआईएफबी) और भारतीय कम्युनिस्ट गदर पार्टी के कई सदस्यों ने हिस्सा लिया।
माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य आर अरुण कुमार ने कहा, ‘‘फलस्तीन पर मौजूदा हमले को दो साल हो गए हैं... लेकिन यह कहना गलत होगा कि केवल दो साल ही हुए हैं। हमले तब शुरू हुए जब इजराइल का गठन हुआ था और तब से जारी हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी समर्थन के बिना इजराइल ऐसा करने की हिम्मत नहीं कर पाता।’’
भाकपा नेता अमरजीत कौर ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर इजराइल के साथ ‘‘सांठगांठ’’ करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘वामपंथी ताकतें और भारत के शांतिप्रिय लोग मानते हैं कि (नरेन्द्र) मोदी सरकार को फलस्तीन का समर्थन करना चाहिए और हमें इजराइल के साथ कोई व्यापारिक संबंध नहीं रखना चाहिए।’’
कौर ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी का हवाला देते हुए यह भी दावा किया कि केंद्र डरा हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘सोनम वांगचुक भी जेल में हैं... यह संदेश देने के लिए है कि अगर कोई सरकार के खिलाफ आवाज उठाएगा तो यही होगा। बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल में जो हुआ, उसके बाद सरकार डरी हुई है।’’
एआईएफबी के महासचिव जी देवराजन ने गाजा में बच्चों की मौत को लेकर इजराइल की आलोचना की।