नई दिल्ली
केंद्रीय मंत्री जीतेन्द्र सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में "सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया बिल, 2025" पेश करने का इरादा व्यक्त किया।सिंह ने यह भी अनुरोध किया कि इस बिल को इसके प्रस्तावित संशोधनों के साथ विचाराधीन रखा जाए और सदन द्वारा पारित किया जाए।
प्रस्तावित बिल भारत के दीर्घकालिक ऊर्जा और जलवायु लक्ष्यों से सीधे जुड़ा हुआ है। इसके तहत 2070 तक डीकार्बोनाइजेशन (कार्बन उत्सर्जन में कमी) और 2047 तक 100 गीगावाट न्यूक्लियर पावर क्षमता हासिल करने का रोडमैप निर्धारित किया गया है।
इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बिल में देशी परमाणु संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने और सार्वजनिक व निजी दोनों क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही भारत को वैश्विक न्यूक्लियर ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र में योगदानकर्ता के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य भी है।
ऑपरेशनल स्तर पर, बिल में परमाणु ऊर्जा के उत्पादन या उपयोग में लगे व्यक्तियों के लिए लाइसेंसिंग और सुरक्षा प्राधिकरण की व्यवस्था की गई है, साथ ही निलंबन या रद्द करने के स्पष्ट आधार भी तय किए गए हैं। बिल के तहत स्वास्थ्य, खाद्य और कृषि, उद्योग और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में न्यूक्लियर और रेडिएशन तकनीकों के उपयोग को विनियमित किया जाएगा, जबकि अनुसंधान, विकास और नवाचार गतिविधियों को लाइसेंसिंग आवश्यकताओं से मुक्त रखा गया है।
बिल में न्यूक्लियर नुकसान के लिए व्यावहारिक नागरिक दायित्व ढांचे का संशोधित प्रावधान है, एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड को संवैधानिक दर्जा देने का प्रस्ताव है और सुरक्षा, सुरक्षा उपायों, गुणवत्ता आश्वासन और आपातकालीन तैयारी के तंत्र को मजबूत किया गया है।
इसके अलावा, बिल में नए संस्थागत ढांचे बनाए जाने का प्रावधान है, जैसे कि एटॉमिक एनर्जी रिड्रेसल एडवाइजरी काउंसिल, क्लेम्स कमिश्नर की नियुक्ति, और गंभीर न्यूक्लियर नुकसान के मामलों के लिए न्यूक्लियर डैमेज क्लेम्स कमिशन, जिसमें अपील प्राधिकरण के रूप में एपलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी कार्य करेगा।
बिल पेश करने के माध्यम से सरकार ने भारत में न्यूक्लियर गवर्नेंस को आधुनिक बनाने का इरादा जताया है, ताकि यह ऊर्जा संक्रमण, तकनीकी प्रगति और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप हो।
प्रस्तावित विधेयक न्यूक्लियर ऊर्जा के विस्तार को सुरक्षा, जवाबदेही और सार्वजनिक हित के साथ संतुलित करने का प्रयास करता है और इसे राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा तथा कम-कार्बन भविष्य के व्यापक प्रयास के अंतर्गत रखा गया है।