राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-देवबंद
जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन जीमयत के अध्यक्ष महमूद मदनी ने कहा कि हर बात पर सहमति हो सकती है, लेकिन विचारधारा से कोई समझौता नहीं कर सकते. हमारे वजूद का सवाल है. शरीयत में दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे.
एबीवीपी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मदनी ने कहा कि आज हमारे अस्तित्व का सवाल है. मुसलमान पहले से ही अत्याचार सहने के आदी हैं. हमें पहले देश को बचाना है. इसलिए हम पहले देश की बात कर रहे हैं, लेकिन इससे भी कई लोगों के पेट में दर्द हो रहा है. अगर वह राष्ट्रवाद की बात करते हैं तो वह सही हैं, लेकिन अगर हम इस बारे में बात करें, तो इसे दिखावा कहा जाता है. अगर हम इस देश की रक्षा के लिए अपनी जान गंवाते हैं, तो यह हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी.
मदनी ने अपने संबोधन ने कहा कि, हमारे लहजे में इन्हें नफरत कहां से नजर आ रही है. हम डराते नहीं हैं, आप डराने का काम करते हैं. हम गैर नहीं हैं, हम इस मुल्क के हैं, ये हमारा मुल्क है. हम अपने मुल्क के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे. हमारी तहजीब, खाने-पीने के तरीके अलग हैं... अगर तुमको हमारा मजहब बर्दाश्त नहीं है तो तुम कहीं और चले जाओ. वो जरा-जरा सी बात पर कहते हैं कि पाकिस्तान चले जाओ. हमें तो मौका मिला था, लेकिन हमने उसे रिजेक्ट कर दिया.
मदनी ने कहा कि हमने ऋषिकेश से लेकर दिल्ली तक हजारों पेड़ लगाए थे. मंदिरों, मस्जिदों और स्कूलों में पेड़ लगाए गए थे. हमें इस बरसात में भी ऐसा ही अभियान चलाना है. लोग बोलेंगे, लिखेंगे... लेकिन इसकी परवाह मत करिए. उन्होंने आगे कहा कि, हम लोग बहुत लंबे अरसे के बाद यहां मिल रहे हैं.
जमीयत के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने बताया कि अधिवेशन के दूसरे दिन पांच प्रस्तावों पर विचार होगा. पहले प्रस्ताव में देश की कानून-व्यवस्था को लेकर चर्चा होगी. इसके साथ कॉमन सिविल कोड पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा. दूसरा प्रस्ताव ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की ईदगाह मस्जिद के संबंध में है.
देवबंद में जमीयत उलेमा-ए हिंद के राष्ट्रीय अधिवेशन में दोनों गुटों में एका दिखा. एक गुट महमूद मदनी का है, तो दूसरा अरशद मदनी का. महमूद भतीजे तो अरशद मदनी सगे चाचा हैं. अधिवेशन में अरशद मदनी ने भी शिरकत की. मंच से अरशद मदनी ने कहा कि वह दिन दूर नहीं, जब दोनों जमीयत एक हो जाएंगी, क्योंकि दोनों जमातों का मकसद एक है. इससे उम्मा को बड़ी ताकत मिली है. दानिशवर दोनों गुटों के एक होने से ताकता में इजाफा देख रहे हैं. अधिवेशन में देश भर से लगभग 1500 उलेमा और दानिशवर शामिल हुए हैं.