गुवाहाटी
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को आशंका जताई कि राज्य में भूमिहीनों और भूमि कटाव से प्रभावित लोगों का अपने मूल स्थानों से सैकड़ों किलोमीटर दूर जाकर हिंदू या असमिया मुस्लिम बहुल इलाकों में बसना किसी गंभीर साजिश का हिस्सा हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा चलाए गए अतिक्रमण रोधी अभियानों के दौरान हटाए गए लोगों में से अधिकांश बांग्ला भाषी मुस्लिम समुदाय से हैं। उन्होंने दावा किया कि ऐसे लोगों के दूर-दराज इलाकों में जाकर बसने से जनसांख्यिकीय संतुलन को खतरा पैदा हो रहा है।
शर्मा ने कहा,"हमारा सवाल यह है कि वे अपने घर से 200–300 किलोमीटर दूर उन जगहों पर क्यों जाकर बसते हैं, जहां पहले से हिंदू या असमिया मुसलमान बहुसंख्यक हैं? इससे स्थानीय लोगों में असुरक्षा की भावना पनप रही है। यह सिर्फ अतिक्रमण हटाने का मामला नहीं है, बल्कि एक गुप्त योजना का हिस्सा भी हो सकता है, जिसमें हमें धीरे-धीरे अल्पसंख्यक बनाने की कोशिश की जा रही है।"
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस सप्ताह धुबरी और गोलपारा जिलों में दो बड़े अतिक्रमण हटाने के अभियान चलाए गए, जिनमें 4,500 बीघा से अधिक सरकारी और आरक्षित वन भूमि को खाली कराया गया।
उन्होंने कहा,"यह साजिश है, गरीबी है या इसके पीछे कुछ राजनीतिक ताकतें काम कर रही हैं—इसकी जांच होनी चाहिए।"
मुख्यमंत्री के अनुसार, असम में लगभग 8 लाख बीघा सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया जा चुका है, जिसमें कई आरक्षित वन और संवेदनशील क्षेत्र भी शामिल हैं। सरकार अब इन पर गंभीरता से काम कर रही है।