बेंगलुरु
इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति ने कर्नाटक में जारी सामाजिक एवं शैक्षणिक सर्वेक्षण में हिस्सा लेने से साफ मना कर दिया है। उन्होंने यह कहते हुए इनकार किया कि वे किसी भी पिछड़ी जाति या समुदाय से संबंध नहीं रखते। यह जानकारी बृहद बंगलुरु महानगरपालिका (बीबीएमपी) के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को दी।
कर्नाटक में इस सर्वेक्षण को आमतौर पर जाति सर्वेक्षण भी कहा जाता है। कुछ दिन पहले सर्वेक्षण करने वाले अधिकारी सुधा और नारायण मूर्ति के आवास पर पहुंचे थे, जहां दोनों ने सर्वेक्षण में भाग लेने से मना कर दिया। उन्होंने सर्वेक्षण कर्मियों से कहा, "हम अपने घर पर सर्वेक्षण नहीं करवाना चाहते।"
सूत्रों के अनुसार, सुधा मूर्ति ने कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा आयोजित सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण 2025 के लिए जारी एक स्व-घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए जानकारी देने से इनकार किया। इस प्रारूप में लिखा गया है, "अपने कुछ निजी कारणों से मैं कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा किए जा रहे सामाजिक एवं शैक्षणिक सर्वेक्षण में जानकारी देने से इंकार करती हूं।"
इसके अलावा, सुधा मूर्ति ने कन्नड़ भाषा में भी लिखा है कि "हम किसी भी पिछड़े समुदाय से नहीं हैं, इसलिए हम सरकार द्वारा किए जा रहे ऐसे सर्वेक्षण में भाग नहीं लेंगे।"
सुधा मूर्ति, उनके निजी सहायक और इंफोसिस के अधिकारियों ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जबकि मीडिया द्वारा संपर्क करने पर कोई जवाब नहीं मिला।
यह सर्वेक्षण 22 सितंबर से शुरू हुआ था और मूल रूप से 7 अक्टूबर को समाप्त होना था, लेकिन बाद में इसे 18 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया। चूंकि सर्वेक्षण में बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हैं, इसलिए सरकार ने 18 अक्टूबर तक स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी है।
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने कहा है कि छुट्टियों के कारण पढ़ाई में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जाएंगी।