संयुक्त राष्ट्र
भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के महत्व की सराहना करते हुए पाकिस्तान और चीन की भूमिका पर ध्यान आकर्षित किया है, और कहा है कि ये देश एससीओ को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं.
भारत के संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रभारी आर रवींद्र ने सुरक्षा परिषद की बैठक में क्षेत्रीय अखंडता की आवश्यकता पर जोर दिया और बिना नाम लिए आतंकवाद को पाकिस्तान से जोड़ा.
उन्होंने कहा, "कुछ देश आतंकवाद को राज्य नीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे एससीओ और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग प्रभावित हो सकता है."
रवींद्र ने भारत के कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान की लगातार वकालत की. उनका इशारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन की परियोजनाओं की ओर था.
उन्होंने कहा, "भारत एससीओ के भीतर विश्वास को बढ़ाने और समानता, सम्मान, और आपसी समझ के आधार पर साझेदारी को मजबूत करने को उच्च प्राथमिकता देता है." उन्होंने एससीओ के 'सिक्योर' दृष्टिकोण की भी बात की, जिसमें सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता का सम्मान, और पर्यावरणीय सुरक्षा शामिल है.
रवींद्र ने कहा कि सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और आतंकवादियों पर प्रतिबंधों को पूरी तरह लागू किया जाना चाहिए. उन्होंने कजाकिस्तान के अस्ताना में 4 जुलाई को हुए एससीओ शिखर सम्मेलन का उल्लेख किया, जिसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उन देशों को अलग-थलग करने और बेनकाब करने की बात की गई थी जो आतंकवादियों को आश्रय देते हैं.
अमेरिकी स्थायी प्रतिनिधि लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने एससीओ के आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर सवाल उठाया. आरोप लगाया कि एससीओ सदस्य देश आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ने के नाम पर जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य देशों ने शरणार्थियों को जबरन वापस भेजने का कार्य किया है.
एससीओ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसमें भारत 2015 में शामिल हुआ था. इसके अन्य सदस्य देश रूस, चीन, पाकिस्तान, ईरान, और चार मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, और ताजिकिस्तान हैं. रूस का यूरोपीय सहयोगी बेलारूस भी हाल ही में इस संगठन में शामिल हुआ है.
रवींद्र ने कहा कि भारत सेंट्रल एशिया के देशों के साथ गहरे संबंध साझा करता है और इन देशों में विकास परियोजनाओं के लिए 1 बिलियन डॉलर की ऋण सहायता की पेशकश की है. उन्होंने चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत के अनुबंध को अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया के लिए एक कनेक्टिविटी हब के रूप में भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण बताया.
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई वर्शिनी ने एससीओ, सीआईएस और सीएसटीओ के योगदान को सराहा, जिसमें एकीकरण प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना, संघर्षों को रोकना और आतंकवाद से निपटना शामिल है.
चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कांग ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए संयुक्त राष्ट्र से एससीओ के साथ मिलकर बातचीत और आपसी समझ को मजबूत करने का आह्वान किया.